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| वसेसो भाणियो । सेवं! २ जाव विहरइ ॥ २६-९॥ चरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, |२६ शतके प्रज्ञप्तिः दिगोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव चरिमेहिं निरवसेसो । सेवं भंते ! २ जाव विहरति उद्देशः ४अभयदेवी- |॥ २६-१०॥ अचरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए एवं जहेव पढया वृत्तिः२६ मोद्देसए पढमबितिया भंगा भाणियवा सव्वत्थ जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं । अचरिमे णं भंते !
९-१०
११-१२ ॥९३६॥ |मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधड बंधिस्सइ अत्थे० बंधी बंधइ न बंधि
अनन्तरा||स्सइ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ । सलेस्से णं भंते ! अचरिमे मणूसे पावं कम्मं किं बंधी?, एवं चेव |
वगाढादी|तिन्नि भंगा चरमविहणा भाणियचा एवं जहेव पढमुद्देसे, नवरं जेसु तत्थ वीससु चत्तारि भंगा तेसु इह || नांपापब
आदिल्ला तिन्नि भंगा भाणियत्वा चरिमभंगवजा, अलेस्से केवलनाणी य अजोगीय एए तिन्निविन पुच्छिज्जंति, |न्धित्वादि | सेसं तहेव, वाणमंतरजोइ० वेमा० जहा नेरइए । अचरिमे णं भंते ! नेरइए नाणावरणिजं कम्मं किं बंधी
सू८१७ |पुच्छा, गोयमा!एवं जहेव पावं नवरं मणुस्सेसु सकसाईसु लोभकसाईसु य पढमबितिया भंगा सेसा अट्ठारस |चरमविहूणा सेसं तहेव जाव वेमाणियाणं, दरिसणावरणिजंपि एवं चेव निरवसेसं, वेयणिजे सत्वत्थविद्र
पढमवितिया भंगा जाव वेमाणियाणं नवरं मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नथि । अचरिमे णं भंते ! | नेरइए मोहणिज कम्मं किं बंधी? पुच्छा, गोयमा ! जहेव पावं तहेव निरवसेसं जाव वेमाणिए ॥ अचरिमेणं भंते ! नेरइए आउयं कम्मं किं बंधी? पुच्छा, गोयमा ! पढमबितिया भंगा, एवं सबपदेसुवि, नेरइयाणं
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