SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 418
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -- व्याख्या- पुच्छा, एवं चेव एवं जाव उड्डमहायताओ। लोयागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा ! सिय २५ शतके प्रति कडजुम्माओ नो तेओयाओ सिय दावरजुम्माओ नो कलिओगाओ, एवं पाईणपडीणायताओवि दाहिणुत्त || || उद्देशः३ अभयदेवी-18|| रायताओवि, उड्डमहाययाओ णं पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्माओ नो तेओगाओ नो दावरजुम्माओनो कलि- आकाशया वृत्तिः योगाओ। अलोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्माओ जाव सिय कलि श्रेणिगतिओगाओ, एवं पाईणपडीणायताओवि एवं दाहिणुत्तरायताओवि, उडमहायताओवि एवं चेव, नवरं नो कलि-15 श्रेणिगणि॥८६६॥ | पिटकाल्पओगाओ सेसं तं चेव (सूत्रं ७२९)॥ कति णं भंते ! सेढीओ प०?, गोयमा! सत्त सेढीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-8 | बहुत्वानि उज्जुआयता एगओवंका दुहओवंका एगओखहा दुहओखहा चक्कवाला अद्धचक्कवाला ॥ परमाणुपोग्गलाणं |सू ७२९ भंते! किं अणुसेढी गती पवत्तति विसेदि गती पवत्तति ?, गोयमा ! अणुसेंढी गति पवत्तति नो विसेढीं। ७३३ 8 गती पवत्तति । दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं अणुसेढी गती पवत्तति विसेढी गती पवत्तति एवं चेव, एवं जाव |अणंतपएसियाणं खंधाणं। नेरइयाणं भंते ! किं अणुसेढी गती पवत्तति विसेढींगती पवत्तति एवं चेव, एवं जाव | वेमाणियाणं ॥ (सूत्रं ७३०) इमीसे गंभंते ! रयणप्पभाए पुढवि. केवतिया निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता?, || गोयमा! तीसं निरयावाससयसहस्सा ५०, एवं जहा पढमसते पंचमुद्देसगे जाव अणुत्तरविमाणत्ति ॥ (सूत्रं ||७३१) कइविहे णं भंते! गणिपिडए प०१, गोयमा दुवालसंगे गणिपिडएपं० २०-आयारोजाव दिहिवाओ, से किं तं आयारो ?, आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयारगो एवं अंगपरूवणा भाणियबा जहा नंदीए, जाव || Pi SCAREERSAMACHAR ॥८६ का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy