________________
SH
२० शतके उद्देशः १० कतिसंचि.
तादि सू ६८७
व्याख्या- 'आइडीए'त्ति नेश्वरादिप्रभावेणेत्यर्थः 'आयकम्मुणत्ति आत्मकृतकर्मणा-ज्ञानावरणादिना 'आयप्पओगेणं ति आत्म
प्रज्ञप्तिः व्यापारेण ॥ उत्पादाधिकारादिदमाहअभयदेवी
| नेरइया णं भंते । किं कतिसंचिया अकतिसंचिया अवत्तगसंचिया ?, गोयमा ! नेरइया कतिसंचियावि या वृत्तिः२
है अकतिसंचियावि अवत्तगसंचियावि, से केण जाव अश्वत्तगसंचया ?, गोयमा! जे णं नेरइया संखेन्जएणं ॥७९६॥
का पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंचिया जे ण नेरइया असंखेजएणं पवेसएणं पविसंति ते णं नेरइया
अकतिसंचिया, जे णं नेरइया एक्कएणं पवेसएणं पविसंति ते णं नेरड्या अवत्तगसंचिया, से तेण?णं गोयमा ! जाव अवत्तगसंचियावि, एवं जाव थणिय०, पुढविक्काइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो | कइसंचिया अकइसंचिया नो अवत्तगसं०, से केणटेणं एवं वुच्चइ जाव नो अबत्तगसंचिया ?, गोयमा ! पुढविकाइया असंखेजएणं पवेसणएणं पविसंति से तेणटेणं जाव नो अश्वत्तगसंचया, एवं जाव वणस्स०, दिया जाव वेमाणिक जहा नेरइया, सिद्धा णं पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा कतिसंचिया नो अकतिसंचया अवत्तगसं|चियावि, से केणढे जाव अवत्तगसंचियावि?, गोजेणं सिद्धा संखेन्जएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं | सिद्धा कतिसंचिया जे णं सिद्धा एकएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा अश्वत्तगसंचिया, से तेणटेणं जाव अवत्तगसंचियावि॥एएसिणं भंते ! नेरइ० कतिसंचियाणं अकतिसंचियाणं अवत्तगसंचियाण य कयरे २ जाव विसेसा० १, गोयमा ! सवत्थोवा नेरइया अश्वत्तगसंचिया कतिसंचिया संखेनगुणा अकतिसंचिया
ALSOURCESSESSION
॥७९॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.iainelibrary.org