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________________ 'कह'त्यादि, ‘एवं बितिओ इंदियउद्देसओ'इत्यादि यथा प्रज्ञापनायां पञ्चदशस्येन्द्रियपदस्य द्वितीय उद्देशकस्तथाऽयं वाच्यः, स चैवं-सोइंदिओवचए चक्खिदिओवचए घाणिदिओवचए रसणिंदिओवचए फासिंदिओवचए' इत्यादि ॥विंश४ तितमशते चतुर्थः॥२०-४॥ चतुर्थे इन्द्रियोपचय उक्तः, स च परमाणुभिरितिपञ्चमे परमाणुस्वरूपमुच्यते इत्येवंसम्बद्धस्यास्येदमादिसूत्रम्परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एग-||3|| | रसे दुफासे पन्नत्ते, तंजहा-जइ एगवन्ने सिय कालए सिय नीलए सिय लोहिए सिय हालिद्दे सिय सुकिल्ले जइ एगगंधे सिय सुन्भिगंधे सिय दुन्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए सिय अंबिले सिय महुरे, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य १ सिय सीए य लुक्खे य २ सिय उसिणे य निद्धे य ३ सिय उसिणे य लुक्खे य ४॥ दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने ? एवं जहा अट्ठारसमसए छटुद्देसए जाव | |सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने सिय कालए जाव सिय सुकिल्लए जइ दुवन्ने सिय कालए नीलए य १ |सिय कालए य लोहिए य २ सिय कालए य हालिद्दए य ३ सिय कालए य सुकिल्लए य ४ सिय नीलए लोहिए| है।५ सिय नी० हालिद्द०६ सिय नीलए य सुकिल्लए य ७सिय लोहिए य हालिद्दए य ८ सिय लोहिए य सुक्कि लए य ९सिय हालिद्दए य सुकिल्लए य १० एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा । जइ एगगंधे सिय सुभिगंधे १ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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