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________________ सू ६५९ व्याख्या गोयमा ! चउविहा कसायनिवत्ती प०, तं०-कोहकसायनिवत्ती जाव लोभकसायनिवत्ती एवं जाव वेमा- |१९शतके प्रज्ञप्तिः णियाणं । कइविहा णं भंते ! वन्ननिवत्ती प० १, गोयमा! पंचविहा वन्ननिवत्ती प० तं०-कालवन्ननिवत्ती जाव | उद्देशः ८ अभयदेवी- सुकिल्लवन्ननिवत्ती, एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं, एवं गंधनिबत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं, रसनिवत्ती जीवेन्द्रिया या वृत्तिः२ 18 पंचविहा जाव वेमाणियाणं, फासनिवत्ती अट्टविहा जाव वेमाणियाणं । कतिविहा णं भंते ! संठाणनिबत्ती दिनिवृत्तिः ॥७७१॥ प०, गोयमा ! छविहा संठाणनिवत्ती प० तं०-समचउरंससंठाणनिवत्ती जाव हुंडसंठाणनिवत्ती, नेरइयाणं पुच्छा गोयमा ! एगा हुंडसंठाणनिवत्ती प०, असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! एगा समचउरंससंठाणनिबत्ती प०, एवं जावथणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! एगा मसूरचंदसंठाणनिबत्ती प०, एवं जस्स जं संठाणं जाववेमाणियाणं, कइविहा णं भंते ! सन्नानिवत्ती प०१, गोयमा! चउविहा सन्ना निवत्ती प० तं०आहारसन्नानिवत्ती जाव परिग्गहसन्नानिवत्ती एवंजाव वेमाणियाणं, कइविहा णं भंते । लेस्सानिवत्ती । प०१, गोयमा! छविहा लेस्सानिवत्तीप०,०-कण्हलेस्सानिवत्ती जाव सुक्कलेस्सानिवत्ती एवं जाववेमाणियाण |जस्स जइ लेस्साओ।कइविहा गंभंते ! दिट्ठीनिवत्तीप०१, गोयमा तिविहा दिट्ठीनिवत्ती प०,तंजहा-सम्मादि-||६ IN|| द्विनिवत्ती मिच्छादिट्रिनिवत्ती सम्मामिच्छदिट्रीनिवत्ती एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहा दिट्ठी।कतिविहा|| ॥७७१॥ णं भंते ! णाणनिवत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा णाणनिवत्ती प०, तं०-आभिणिबोहियणाणनिवत्ती जाव केवलनाणनिवत्ती, एवं एगिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं जस्स जहणाणा।कतिविहाणं भंते! अन्नाणनिवत्ती प०१, RRC NAGAR Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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