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व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीयावृत्तिः२ ॥७४६
यसरीरा य, तत्थ णंजे से वेउवियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ गंजे से १८ शतके अवेउवियसरीरे असुरकुमारे देवे सेणं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे, सेकेण?णं भंते! एवं वुच्चइ तत्थ णं Pउद्देशः ५ जे से वेउब्वियसरीरे तं चेक जावपडिरूवे ?, गोयमा! से जहानामए-इहं मणुयलोगंसि दुवे पुरिसा भवंति- असुरादिप्रा एमे पुरिसे अलंबियविभूसिए एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसि णं गोयमा ! दोहं पुरिसाणं कयरे सादीयतेरपुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे जे बा से पुरिसे अलंकिय
तेसू ६२६ विभूसिए जे वा से पुरिसे अणलंकियविभूसिए ?, भगवं! तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूबे, तस्थ णं जे से पुरिसे अणलंकियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो |पडिरूवे से तेणटेणं जाव नो पडिरूवे। दो भंते ! नागकुमारादेवा एगंसि नागकुमारावासंसि एवं चेव एवं जावयकुमारा वाणमंतरजोतिसिया वेमाणिया एवं चेव ॥ (सूत्रं ६२६)॥
'दो भंते'इत्यादि 'वेवियसरीर'त्ति विभूषितशरीराः॥ अनन्तरमसुरकुमारादीनां विशेष उक्तः, अथ विशेषाधिकारादिदमाह
दोभंते । नेरसिया एगसि रतियावासंसि नेरतियत्ताए उववन्ना, तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेक जाच महाव्यणतराए व एगे बेरहए अप्पकम्मतराए चेब जाव अप्पवेषणतराए चेव से कहमेयं M७४६॥ भंते । एवं?, गोपमा! मेरइया दुबिहा प०२०-मायिमिच्छाविडिउवमा य अमायिसम्मदिहिउवनगा
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