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________________ व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥७१९॥ दशमेऽवधिरुक्तः, एकादशे त्ववधिमद्विशेष उच्यते इत्येवंसम्बन्धस्यास्येदमादिसूत्रम् १६ शतके दीवकुमारा णं भंते ! सवे समाहारा सवे समुस्सासनिस्सासा ?, णो तिणहे समहे, एवं जहा पढमसए उद्देशः१० बितियउद्देसए दीवकुमाराणं वत्तवया तहेव जाव समाउया समुस्सासनिस्सासा । दीवकुमाराणं भंते ! कति अवधिः लेस्साओ पन्नत्ताओ?, गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । एएसिणं सू ५८८ भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! उद्देश:११ सवत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्सा विसेसा द्वीपकुमा काराःउ,१२हिया। एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेसाणं जाव तेऊलेस्साण य कयरे २ हिंतो अप्पड्डिया वा मह | १३-१४ |डिया वा ?, गोयमा ! कण्हलेस्साहिंतो नीललेस्सा महड्डिया जाव सत्वमहड्डीया तेउलेस्सा । सेवं भंते ! सेवं उदधिदिक भंते ! जाव विहरति ॥ उदहिकुमारा णं भंते! सवे समाहारा० एवं चेव, सेवं०॥ १६-१२॥ एवं दिसाकुमा- स्तनिता रावि ॥१६-१३ ॥ एवं थणियकुमारावि, सेवं भंते सेवं भंते ! जाव विहरइ ॥१६-१४॥ सोलसमं सयं सू ५८९ समत्तं ॥ (सूत्रं ५८९)॥१६-१४॥ 'दीवे'त्यादि ॥ एवमन्यदप्युदेशकत्रयं पाठयितव्यमिति ॥ षोडशशतं वृत्तितः परिसमाप्तमिति ॥ सम्यकश्रुताचारविवर्जितोऽप्यहं, यदप्रकोपात्कृतवान् विचारणाम् । |॥७१९॥ अविघ्नमेतां प्रति षोडशं शतं, वाग्देवता सा भवताद्वरप्रदा ॥१॥ हिया जाव विहरति एवं धणियकुमा समत्त ॥ १६-१३ ॥ एवं धादिङमारा णं भासव महहिया जाव सा मिति ॥ षोडशश 48061-06 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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