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व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवी
या वृत्तिः १
॥३६९ ॥
| कारवेति मणसा वयसा ३५, अहवा न कारवेति मणसा कायसा ३६, अहवा न कारवेह वयसा कायसा ३७, अहवा करेंतं नाणुजा० मणसा वयसा ३८, अहवा करेंतं नाणुजा० मणसा कायसा ३९, अहवा करेंतं नाणु| जाणइ वयसा कायसा ४०, एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कममाणें न करेति मणसा ४१, अहवा न करेति वयसा | ४२, अहवा न करेति कायसा ४३, अहवा न कारवेति मणसा ४४, अहवा न कारवेति वयसा ४५, अहवा न कारवेइ कायसा ४६, अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा ४७ अहवा करेंतं नाणुजा० वयसा ४८ अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ४९ । पप्पन्नं संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ?, एवं जहा पडिक्कममाणेणं एगूणपनं भंगा भणिया एवं संवरमाणेणवि एगूणपन्नं भंगा भाणियवा । अणागयं पञ्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं | पच्चक्खाइ ? एवं ते चैव भंगा एगूणपन्ना भाणियबा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव थूलमुसावाए अपञ्चक्खाए भवइ से णं भंते! पच्छा पञ्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवायस्स | सीपालं भंगसयं भणियं तहा मुसावायस्सवि भाणियवं । एवं अदिन्नादाणस्सवि, एवं थूलगस्स मेहुणस्सवि थूलग|स्स परिग्गहस्सवि जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति (सूत्रं ३२९) ॥ आजीवियसमयस्स णं अयमट्ठे पण्णत्ते अक्खीणपडि| भोइणो सबै सत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुंपित्ता विलुंपित्ता उद्दवइत्ता आहारमाहारेंति, तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवति, तंजहा-ताले १ तालपलंबे २ उधि ३ संविहे ४ अवविहे ५ उदए ६ नामुदए ७
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८ शतके उद्देशः ५ श्रमणोपा
सकव्रत
भङ्गाः
सू ३२९
॥३६९ ॥
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