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________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः२॥ ॥६४१॥ विग्गहगतिसमावन्नए नेरतिए से णं अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा, से णं तत्थ झियाएजा, णो दि १४ शतके तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णं जे से अविग्गहगइसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स ४ उद्देशः मज्झमज्झेणं णो वीइवएज्जा, से तेण?णं जाव नो वीइवएज्जा ॥ अकुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स परिणाम: पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा, से केणटेणं जाव नो बीइवएज्जा, सू ५१४. गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-विग्गहगइसमावन्नगा य अविग्गहगइसमावन्नगा य, तत्थ Bा उद्देशः ५ णं जे से विग्गहगइसमावन्नए असुरकुमारे से णं एवं जहेव नेरतिए जाव वक्कमति, तत्थ णं जे से अवि- | अग्निमध्ये ग्गहगइसमावन्नए असुरकुमारे से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीतीवएना अत्थेगतिए नो गमनादि दसू ५१५ वीइव०, जे णं वीतीवएज्जा से णं तत्थ झियाएजा ?, नो तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमति, से तेणटेणं एवं जाव थणियकुमारे, एगिदिया जहा नेरइया । बेइंदिया णं भंते ! अगणिकायस्स मझमझेणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, नवरं जेणवीयीवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ?, हंता झियाएज्जा, सेणं तं चेव एवं जाव चउरिदिए ॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकायपुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा, से तेण?णं०१, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्ण | त्ता, तंजहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य अविग्गहगइमासवनगा य, विग्गहगइमासवन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, अविग्गहगइसमावन्नगा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इड्डि ॥४॥ १९ जाव Jain Education M o nal For Personal & Private Use Only w.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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