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सू ४६९
व्याख्या-8 असम्भावपजवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नो आया य अवत्तवं आयाति य नो १२ शतके प्रज्ञप्तिः आयाति य, देसे आदिट्टे सब्भावपजवे देसे आदितु असम्भावपजवे देसा आदिट्ठा तदुभयपजवा चउप्पएसिए १० उद्देश: अभयदेवी
खंधे भवइ आया य नो आया य अवत्तवाइं आयाओ य नो आयाओ य १७ देसे आदिट्टे सम्भावपजवे देसारलप्रभाद्यया वृत्तिः२॥ आदिवा असम्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नो आयाओ य अवत्तवं |
वाद्याश्रि| आयाति य नोआयाति य १७ देसा आइहा सम्भावपज्जवा देसे आइट्टे असम्भावप० देसे आइहे तदुभयपज्जवे
ता भङ्गाः ॥५९४॥
चउप्पएसिए खंधे आयाओ य नोआया य अवत्तवं आयाति य नो आयाति य १९ से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ चउप्पएसिए खंधे सिय आया सिय नो आया सिय अवत्तवं निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयवा जाव नो आयाति य॥ आया भंते ! पंचपएसिए खंधे अन्ने पंचपएसिए खंधे ?, गोयमा ! पंचपएसिए खंधे सिय आया १ सिय नो आया २ सिय अवत्तवं आयाति य नो आयाति य ३ सिय आया य नो आया य सिय अवत्तवं ४ नो आया य अवत्तवेण य ४तियगसंजोगे एक्को ण पडइ, से केण?णं भंते ! तं चेव पडिउच्चारेयचं?, गोयमा ! अप्पणो आदिढे आया १ परस्स आदिटेनो आया २ तदभयस्स आदिहे अवत्तवं ३ देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदिटे असम्भावपज्जवे एवं दयगसंजोगे सो पडति तियगसंजोगे एको ण
॥५९४॥ व पडइ । छप्पएसियरस सवे पडंति जहा छप्पएसिए एवं जाव अणंतपएसिए । सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव | 5 |विहरति ॥ (सूत्रं ४६९)॥दसमो उद्देसो समत्तो ॥ बारसमं सयं समत्तं ॥१२-१०॥
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