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________________ व्याख्या वणस्सइकाइयत्ताए नरगत्ताए नेरइयत्ताए उववन्नपुवे ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो, अयन्नं १२ शतके प्रज्ञप्तिःला भंते ! जीवे सकरप्पभाए पुढवीए पणवीसा एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो आलावगा भाणियवा, एवं ७ उद्देशः अभयदेवी जाव धूमप्पभाए । अयन्नं भंते ! जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि सेसं तं चेव, नरकादितया वृत्तिः२ अयन्नं भंते ! जीवे अहेसत्तमाए पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएम महानिरएसु एगमेगंसि निर | या सर्वेषा॥५८०॥ यावासंसि सेसं जहा रयणप्पभाए, अयन्नं भंते ! जीवे चोसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि | मनन्तकृ त्व उत्पादः असुरकुमारावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवीत्ताए आसणसयणभंडमत्तोव सू४५८ गरणत्ताए उववन्नपुवे ?, हंता गोयमा! जाव अणंत खुत्तो, सबजीवावि णं भंते ! एवं चेव, एवं थणियकुमारेसु, नाणत्तं आवासेसु, आवासा पुवभणिया, अयन्नं भंते ! जीवे असंखेजेसु पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एग-18 मेगंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वण० उववन्नपुचे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंत खुत्तो एवं सवजीवावि एवं जाव वणस्सइकाइएम, अयण्णं भंते ! जीवे असंखेजेसु बेंदियावाससयसहस्सेसु एग| मेगंसि बेंदियावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए बेइंदियत्ताए उववन्नपुवे', हंता गोयमा!|| जाव खुत्तो, सबजीवावि णं एवं चेव एवं जाव मणुस्सेसु, नवरं तेंदियएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तंदि-F ean यत्ताए चउरिदिएसु चरिंदियत्ताए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ताए मणुस्सेसु । मणुस्सत्ताए सेसं जहा बेदियाणं, वाणमंतरजोइसियसोहम्मीसाणेसु य जहा असुरकुमाराणं, अयण्णं dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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