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________________ व्याख्या- धारणा एस णं कतिवन्ना , एवं चेव जाव अफासा पन्नत्ता ॥ अह भंते ! उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरि-18 १२ शतके प्रज्ञप्तिःला सक्कारपरक्कमे एस णं कतिवन्ने ? तं चेव जाव अफासे पन्नत्ते । सत्तमे णं भंते ! उवासंतरे कतिवन्ने उद्देशः अभयदेवी पापस्थान या वृत्तिः एवं चेव जाव अफासे पन्नत्ते । सत्तमे णं भंते ! तणुवाए कतिवन्ने ?, जहा पाणाइवाए, नवरं अट्ठफासे पण्णत्ते, वर्णादिः वि एवं जहा सत्तमे तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए घणोदधि पुढवी, छट्टे उवासंतरे अवन्ने, तणुवाए जाव छट्ठी रमण प्रभृ॥५७१॥ 18| पुढवी एयाइं अट्ट फासाई,एवं जहा सत्तमाए पुढवीए वत्तवया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियचं, तिवर्णादिः जंबुद्दीवे २ सयंभुरमणे समुद्दे सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपन्भारा पुढवी नेरतियावासा जाव वेमाणियावासासू ४४९ ४५० एयाणि सवाणि अट्ठफासाणि । नेरइया णं भंते ! कतिवन्नाजाव कतिफासा पन्नत्ता?, गोयमा! वेउवियतेयाई | पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुग्गंधा अट्टफासा पण्णत्ता, कम्मगं पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा चउफासा पण्णत्ता, जीवं पडुच्च अवन्ना जाव अफासा पण्णत्ता, एवं जाव थणिय०, पुढविकाइयपुच्छा, गोयमा ! ओरालियतेयगाई पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, कम्मगं पडुच जहा नेर०, जीवं पडुच तहेव, एवं जाव चरिदि०, नवरं वाउक्काइया ओरा वेउ० तेयगाई पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, सेसं जहा|| ॥५७१॥ नेरइयाणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा वाउक्काइया, मणुस्साणं पुच्छा ओरालियवेउवियआहारगतेयगाई पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्टफासा पण्णत्ता, कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेर०, वाणमंतरजोइसियवेमा ECORRECEॐ ॐ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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