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________________ सू४४६ व्याख्या एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति । नेरइयाणं भंते ! केवतिया ओ० पोग्गलपरियटा अतीता ?, गोयमा १२ शतके प्रज्ञप्तिः अनंता, केवइया पुरेक्खडा ?, अणंता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं वेउवियपोग्गलपरियट्टावि एवं जाव ४ उद्देशः अभयदेवी- आणापाणुपोग्गलपरियट्टा वेमाणियाणं, एवं एए पोहत्तिया सत्त चउच्चीसतिदंडगा ॥ एगमेगस्स णं या वृत्तिः | भंते ! नेरइयस्स नेर० केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?, नत्थि एकोवि, केवतिया पुरेक्खडा, ताधिकारः नत्थि एक्कोवि, एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा० एवं चेव एवं जाव थणियकुमारत्ते जहा असुरकुमारत्ते । एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स पुढविक्काइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?, अणंता, केवतिया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि जस्सत्थि तस्स जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा एवं जाव | मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते । एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स नेरइ-| | यत्ते केवतिया अतीया ओरालियपोग्गलपरियट्टा एवं जहा नेरइयस्स वत्तवया भणिया तहा असुरकुमार|स्सवि भाणियवा जाव वेमाणि, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइयस्सवि, एवं जाव वेमाणियस्स, कासवेर्सि एक्को गमो। एगमेगस्सणं भंते ! नेरइयस्स नेर० केव० वेउ० पोग्गलपरियट्ठा अतीया ?,अर्णता, केवतिया || ॥५६७॥ |पुरेक्खडा, एकोत्तरिया जाव अणंता, एवं जाव थणियकुमारत्ते, पुढवीकाइयत्ते पुच्छा, नत्थि एक्कोवि, केवतिया पुरेक्खडा ?, नत्थि एकोदि, एवं जत्थ वेउवियसरीरं अत्थि तत्थ एगुत्तरिओ जत्थ नत्थि तत्थ जहा CARROTRACK 6-2-56 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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