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________________ व्याख्या- वाससयसहस्साउए दारए पयाए, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति नो चेव णं ते देवा है ११ शतके प्रज्ञप्तिः अलोयंत संपाउणंति, तं चेव०, तेसि णं देवाणं किं गए बहुए अगए बहुए ?, गोयमा! नो गए बहुए अगए| १० उद्देश: अभयदेवी बहुए गयाउ से अगए अणंतगुणे अगयाउ से गए अणंतभागे, अलोएणं गोयमा! एमहालए पन्नत्ते॥(सूत्रं४२१) या वृत्तिः२ जीवप्रदेलोगस्स णं भंते ! एगमि आगासपएसे जे एगिदियपएसा जाव पंचिंदियपएसा अणिदियपदेसा अन्नमन्न- शानामेका. ॥५२६॥ बद्धा अन्नमन्नपुट्ठा जाव अन्नमन्नसमभरघडताए चिट्ठति, अस्थि णं भंते ! अन्नमन्नस्स किंचि आवाहं वा||8| वगाहे बावाबाहं वा उप्पायति छविच्छेदं वा करेंति?, णो तिणढे समढे, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ लोगस्स णं एगंमि धाऽभाव: आगासपएसे जे एगिंदियपएसा जाव चिट्ठति णत्थि णं भंते ! अन्नमन्नस्स किंचि आवाहं वा जाव करेंति ?,| सू४२२ गोयमा! से जहानामए नट्टिया सिया सिंगारागारचारुवेसा जाव कलिया रंगट्ठाणंसि जणसयाउलंसि | जणसयसहस्साउलंसि बत्तीसइविहस्स नहस्स अन्नयरं नट्टविहिं उवदंसेज्जा, से नूणं गोयमा ! ते पेच्छगा तं नहियं अणिमिसाए दिट्टीए सबओ समंता समभिलोएंति ?, हंता समभिलोएंति, ताओ णं गोयमा! |दिट्टीओ तंसि नहियंसि सवओ समंता संनिपडियाओ?, हंता सन्निपडियाओ, अस्थि णं गोयमा ! ताओ| दिट्ठीओ तीसे नट्टियाए किंचिवि आवाहं वा वाबाई वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेंति, णो तिणढे। समडे, अहवा सा नदिया तासिं दिट्ठीणं किंचि आवाहं वा वायाहं वा उप्पाएति छविरुछिदं वा करेइ ॥५२॥ प्राणो तिणढे समढे, ताओ वा विदीओ अन्नमनाए दिट्टीए किंचि आवाहं वा वायाहं वा उप्पाएंति छवि-18 In For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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