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________________ अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपएसावि, जे जीवदेसा ते नियमा एगिंदियदेसा १ अहवा एगिदियदेसा व्याख्या ४११ शतके प्रज्ञप्तिः |य बेइंदियस्स देसे २ अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा ३ एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव अणिदिएम १० उद्देश: अभयदेवी- जाव अहवा एगिदियदेसा य अणिंदियदेसा य, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा १ अहवा एगिं व्यक्षेत्रा दिलोकः दियपएसा य बेंदियस्स पएसा २ अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियाण य पएसा ३ एवं आइल्लविरहिओ सू ४२० ॥५२२॥ जाव पंचिंदिएसु अणिदिएसु तियभंगो, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूवी अजीवा य अरूवी अ जीवा य, रूवी तहेव, जे अरूवी अजीवा ते पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा-नो धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स || देसे १ धम्मत्थिकायस्स पएसे २ एवं अहम्मत्थिकायस्सवि४ अद्धासमए ५ । तिरियलोगखेत्तलोगस्सणं हा भंते ! एगंमि आगासपएसे किं जीवा० १, एवं जहा अहोलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उड्डलोगखेत्तलोगस्सवि, IMIनवरं अद्धासमओ नत्थि, अरूवी चउबिहा । लोगस्स जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगंमि आगासपएसे || अलोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपएसे पुच्छा, गोयमा! नो जीवा नो जीवदेसा तं चेव जाव अणताह G|अगुरुयलहयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासस्स अणंतभागूणे ॥ दवओ णं अहेलोगखेत्तलोए अर्णताई जीवदवाई अणंताई अजीवदवाई अणंता जीवाजीवदवा एवं तिरियलोयखेत्तलोएवि, एवं ऊडलोयखेत्तलोएवि, दव ॥५२२॥ ४||ओ णं अलोए णेवत्थि जीवदया नेवत्थि अजीवरा नेवत्थि जीवाजीवदवा एगे अजीवदवदेसे जाव सबादगासअणंतभागूणे । कालओ णं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि जाव निच्चे एवं जाव अहोलोगे। भाव-14 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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