________________
९शतके उद्देश:३३ जमालेनिहवता सू ३८६
व्याख्या- से णमंसद वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ चेइयाओपडिनिक्खमइ प्रज्ञप्तिः
पडिनिक्खमित्ता पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं सावअभयदेवीयावृत्तिः२
त्थीनामं णयरी होत्था वन्नओ, कोहए चेइए वन्नओ, जाव वणसंडस्स, तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम
है नयरी होत्था वन्नओ पुन्नभद्दे चेइए वन्नओ, जाव पुढविसिलावट्टओ । तए णं से जमाली अणगारे अन्नया है ॥४८४॥ कयाइ पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुत्वाणुपुत्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सावत्थी
नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हति अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे है अन्नया कयावि पुवाणुपुच्विं चरमाणे जाव सुहं सुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपानगरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए तेणेव | उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हति अहा० २ संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरह ॥ तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं अरसेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लूहेहि |य तुच्छेहि य कालाइक्कतेहि य पमाणाइतेहि य सीतएहि य पाणभोयणेहिं अन्नया कयावि सरीरगंसि |विउले रोगातके पाउन्भूए उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडए चंडे दुक्खे दुग्गे तिव्वे दुरहियासे पित्तज्जरपरिगतसरीरे दाहवक्कंतिए यावि विहरइ । तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सद्दावेद सहावेत्ता एवं वयासी-तुज्झे णं देवाणुप्पिया ! मम सेज्जासंथारगं संथरेह, तए णं ते
STOCOCCASSCR34
अहापडिरूवं जग्गा तहिं अरसेहि य वियणहिं अन्नया या पित्तजरप-8
॥४८४॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org