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________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीयावृत्तिः१ सबसिद्धअणूतावा । जइ वीसमपरिणए वा रसपार, गोयमा! काल ८ शतके | उद्देशः१ मिश्रविश्र| सापरिणामौसू११ ३१२एकद| व्यपरिणामास३१३ ॥३३४॥ ALSOSMUSAS जाव पजत्तसबसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मासरीरकायप्पयोगपरिणए अपज्जत्तसबसिद्धअणु० जाव परिणए वा ७॥ जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए वयमीसापरिणए कायमीसापरिणए ?, गोयमा ! मणमीसापरिणए वयमीसा कायमीसापरिणए वा, जइ मणमीसापरिणए किं सचमणमीसापरिणए वा मोसमणमीसापरिणए वा जहा पओगपरिणए तहा मीसापरिणएवि भाणियत्वं निरवसेसं जाव | |पज्जत्तसबट्टसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियकम्मासरीरगमीसापरिणए वा अपजत्तसवट्ठसिद्धअणुजाव | कम्मासरीरमीसापरिणए वा । जइ वीससापरिणए किं वनपरिणए गंधपरिणए रसपरिणए फासपरिणए संठाणपरिणए ?, गोयमा! वनपरिणए वा गंधपरिणए वा रसपरिणए वा फासपरिणए वा संठाणपरिणए वा, जइ वनपरिणए किं कालवनपरिणए नील जाव सुकिल्लवन्नपरिणए?, गोयमा! कालवन्नपरिणए जाव सुकिल्लव-| नपरिणए, जइ गंधपरिणए किं सुन्भिगंधपरिणए दुन्भिगंधपरिणए ?, गोयमा ! सुन्भिगंधपरिणए दुन्भिगंधपरिणए, जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए १५, पुच्छा, गोयमा! तित्तरसपरिणए जाव महुररसपरिणए, जइ फासपरिणए किं कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ?, गोयमा ! कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए, जइ संठाणपरिणए पुच्छा, गोयमा! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आययसं- ठाणपरिणए वा ॥ (सूत्रं ३१३)॥ 'एगे'इत्यादि, 'मणपओगपरिणए'त्ति मनस्तया परिणतमित्यर्थः 'वइप्पयोगपरिणएत्ति भाषाद्रव्यं काययोगेन en dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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