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________________ कए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिजमितिकट्ट तुरए निगिण्हइ तुरए निगि-15 |ण्हित्ता रहं परावत्तेइ रहं परावत्तित्तारहमुसलाओसंगामाओ पडिनिक्खमतिरएगंतमंतं अवक्कमइ एगंतमंत अवक्कमित्ता तुरए निगिण्हइ २ रहं ठवेइ २त्ता रहाओ पच्चोरुहइ रहाओ २ रहाओ तुरए मोएइ तुरए मोए त्ता तुरए विसज्जेइ २त्ता [ ग्रन्थ ४०००] २ भसंथारगं संथरइ २ [पुरच्छाभिमुहे दुरूहइ ब्भसं०२]|3| पुरच्छाभिमुहे संपलियंकनिसने करयल जाव कट्ट एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्त धम्मोवदेसगस्स वदामि णं भगवन्तं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भगवं तत्थगए जाव वंदति नमंसति २ एवं व यासी-पुछिपि मए समणस्त भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणातिवाए पश्चक्खाए जावजीवाए एवं * जाव थूलए परिग्गहे पचक्खाए जावज्जीवाए, इयाणिपि णं अरिहंतस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं सवं पाणातिवायं पञ्चक्खामि जावजीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयंपिणं चरमेहिं सासनीसासहिं वोसिरिस्सामित्तिकट्ट सन्नाहपढें मुयइ सन्नाहपढें मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेति सल्लुद्धरणं करेत्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते आणुपुवीए कालगए, तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियबालवयंसए रहमुसलं संगामं | संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले जाव अधारणिज्जमितिकट्ठ वरुणं णागनतुयं रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खममाणं पासइ पासइत्ता तुरए निगेण्हइ तुरए निगेण्हित्ता जहा CONNECOCALCRORSCOCONCC dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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