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________________ वृद्धिहा सू२२२ व्याख्या- अडतालीसं मुहत्ता'सकर चोइस रातिदियाणं वालु मासं पंक. दोमासा'धूम चत्तारिमासा'तमाए अह ल ५ शतके प्रज्ञप्तिः कामासा'तम तमाए बारसमासा । असुरकुमारावि वहुंति हायंति जहा नेरइया, अवढिया जह० एकं समयं उक्को उद्देशः८ अभयदेवी अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, एवं दसविहावि, एगिंदिया वहुंतिवि हायंतिवि अवट्टियावि, एएहिं तिहिवि जहन्नेणं एवं जीवादीनां या वृत्तिः१ समयं उक्को आवलियाए असंखेजतिभागं, बेइंदिया वटुंति हायंति तहेव, अवढिया ज. एकं समयं उक्को. दो अंतोमुहुत्ता, एवं जाव चरिंदिया, अवसेसा सवे वटुंति हायंति तहेव, अवट्ठियाणं णाणत्तं इमं, तं० न्यादिसो॥२४४॥ पचयादिच समुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं दो अंतोमुहुत्ता, गन्भवतियाणं चउच्चीसं मुहुत्ता, संमुच्छिममगुस्साणं अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, गन्भवतियमणुस्साणं चउच्चीसं मुहुत्ता, वाणमंतरजोतिससोहम्मीसाणेसु अट्ठचत्तालीसं मुहत्ता, सणंकुमारे अट्ठारस रातिदियाइं चत्तालीस यमुहु०, माहिंदे चउवीसं रातिंदि-12 याइं वीस य मु०, बंभलोए पंचचत्तालीसंरातिदियाई, लंतए नउति रातिंदियाई, महामुक्के सर्हि रातिदियसतं, सहस्सारे दो रातिंदियसयाई, आणयपाणयाणं संखेजा मासा, आरणच्चुयाणं संखेजाई वासाई, एवं गेवेजदेवाणं विजयवेजयंतजयंतअपराजियाणं असंखिजाई वाससहस्साई, सबट्टसिद्धे य पलिओवमस्स असंखेजतिभागो, एवं भाणियर, वडंति हायंति जह० एकं समयंउ. आवलियाए असंखेजतिभागं, अवट्ठियाणं जंभणियं। ॥२४४॥ सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं वटुंति ?, गोयमा ! जह० एकं समयं उक्को० अढ समया, केवतियं कालं अवहिया ?, गोयमा ! जह. एकसमयं उक्को० छम्मासा ॥ जीवा णं भंते ! किं सोवचया सावचया सोवचय Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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