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त्वादि
व्याख्या- | चित्तमीसयाई दवाइं परि० भ०, से तेणटेणं तं चेव । असुरकुमारा णं भंते ! किं सारंभा ४ ? पुच्छा, गोयमा ! ५ शतके प्रज्ञप्तिः | असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा अप० ।से केणटेणं०१, गोयमा ! असुरकुमारा णं पुढविकायं | उद्देशः७ अभयदेवी
समारंभंति जाव तसकायंसमारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति भवणा परि० भवंति नारकादीया वृत्तिः१]
देवा देवीओ मणुस्सामणुस्सीओ तिरिक्खजोणियातिरिक्खजोणिणीओ परिग्गहियाओ भवंति आसणसय- नांसारम्भ॥२३७॥ *णभंडमत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सच्चित्ताचित्तमीसयाई दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति से तेणटेणं तहेव
सू२१९ एवं जाव थणियकुमारा। एगिदिया जहा नेरइया।बेइंदियाणं भंते! किंसारंभा सपरिग्गहातंचेव जाव सरीरा परिग्गहिया भवंति बाहिरिया भंडमत्तोवगरणा परि० भवंति सचित्ताचित्त०जाव भवंति एवं जाव चउरिदिया। | पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! तं चेव जाव कम्मा परि० भवन्ति टंका कूडा सेला सिहरी पन्भारा परिग्ग|हिया भवंति जलथलबिलगुहालेणा परिग्गहिया भवंति उज्झरनिझरचिल्ललपल्ललवप्पिणा परिग्गहिया भवंति अगडतडागदहनदीओ वाविपुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपंतीयाओ परिग्गहियाओ भवंति आरामुज्जाणा काणणा वणाई वणसंडाइं वणराईओ परिग्गहियाओ भवन्ति देव-18 उलसभापवाथूभाखातियपरिखाओ परिग्गहियाओ भवंति पागारद्यालगचरियदारगोपुरा परिग्गहिया भवंति
IR३७॥ पासादघरसरणलेणआवणा परिग्गहिता भवंति सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहा परिग्गहिया भवंति सगडरहजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियाओपरिग्गहियाओ भवंति लोहीलोहकटाहकडुच्छुया परिग्गहिया
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