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________________ नत्थि पुण से अंते, भावओ णं जीवे अणंता णाणपजवा अणंता दंसणप० अणंता चरित्तप० अणंता अगुरुलहुयप नत्थि पुण से अंते, सेत्तं वओ जीवे सअंते खेत्तओ जीवे सअंते कालओ जीवे अणंते भावओ जीवे अणंते । जेविय ते खंदया पुच्छा [इमेयारूवे चिंतिए जाव सअंता सिद्धी अर्णता सिद्धी, तस्सवि यणं अयमढे खंदया!-मए एवं खलु चउव्विहा सिद्धी पण्ण, तं०-व्वओ४, व्वओ णं एगा सिद्धी] खेत्तओ णं.सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च जोयणसयसहस्साई तीसं च जोयणसहस्साई दोन्नि य अउणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं अत्थि पुण से अंते, कालओ णं सिद्धी न कयाविन आसि, भावओ यजहा लोयस्स तहा भाणियव्वा, | तत्थ व्वओ सिद्धी सअंता खे० सिद्धी सअंता का सिद्धी अणंता भावओ सिद्धी अणंता। जेवि य ते खंदया ! जाव किं अगंते सिद्धे तं चेव जाव दव्वओ णं एगे सिद्धे सते, खे० सिद्धे असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगाढे, अत्थि पुण से अंते, कालओ णं सिद्धे सादीए अपज्जवसिए नत्थि पुण से अंते, भा० सिद्धे अणंता णाणपजवा अणंता दंसणपजवा जाव अणंता अगुरुलहुयप नस्थि पुण से अंते, सेत्तं व्व ओ सिद्धे सअंते खेत्तओ सिद्धे सअंते का सिद्धे अणते भा० सिद्धे अणंते । जेवि य ते खंदया ! इमेयारूवे अन्भत्थिए चिंतिए जाव समुप्पजित्था-केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्डति वा हायति वा ?, तस्सवि य| णं अयमढे एवं खलु खंदया!-मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, तंजहा-बालमरणे य पंडियमरणे य, से किं तं बाल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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