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मणेणं वायाए काएण य', एते सत्त भंगा करणेणं, एवं कारवणेणवि एए चेव सत्त भंगा १४, एवं अणुमोयणेणवि सत्त भंगा २१, अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा १ अहवा न करेइ न कारवेइ वचसा, २ अहवान करेइ न कारवेइ काएण ३ अहवा न करेइ न कारवेइ मणसावयसा ५अहवा न करेइन कारवेइ मणसा कायेणं ५ अहवा न करेइन कारवेइ वयसा काय-15 सा ६ अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ७, एते करणकारावणेहिं सत्तभंगा ७ एवं करणाणुमोयणेहिवि | सत्त भंगा ७, एवं कारावणाणुमोयणेहिवि सत्त भंगा, एवं करणकारावणाणुमोयणेहिवि सत्त भंगा ७, एवेते सत्त सत्तभंगाणं एगणपण्णासं विगप्पा भवन्ति, एत्थ इमो एगणपन्नासइमो विगप्पो-पाणातिवायं न करेइ न कारवेइ करेंतंपि
अन्नं न समणुजाणइ मणेणं वायाए काएणंति, एस अंतिमविगप्पो पडिमापडिवन्नस्स समणोवासगस्स तिविहंतिविहेणं ४ | भवतीति, एवं ताव अतीतकाले पडिक्कमंतस्स एगूणपण्णा भवन्ति, एवं पडुपण्णेवि काले संवरेंतस्स एगूणपण्णा भवन्ति, एवं | अणागएवि काले पच्चक्खायंतस्प्त एगणपन्नासा भवन्ति, एवमेता एगूणपण्णासा तिण्णि सीयालं सावयसयं भवति- |
सीयालं भंगसयं जस्स विसोहीऍ होति उवलद्धं । सो खलु पञ्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला उ ॥ १॥ एवं पुण पंचहिं अणुवएहिं गुणियं सत्तसयाणि पंचत्तीसाणि सावयाणं भवन्ति,-सीयालं भंगसयं गिहिपच्चक्खाणभेयपरिमाणं । जोगत्तियकरणत्तियकालतिएणं गुणेयध्वं ॥ २ ॥ सीयालं भंगसयं पच्चक्खाणंमि जस्स उवलद्धं । सो खलु पच्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला य ॥ ३ ॥ सीयालं भंगसयं गिहिपञ्चक्खाणभेयपरिमाणं । तं च विहिणा इमेणं भावेयव्वं पयत्तेणं ॥ ४ ॥ तिनि तिया तिन्नि दुया तिन्निक्किक्का य हुंति जोगेसुं । तिदुइक्कं तिदुइकं तिदुएगं चेव करणाई ॥ ५॥ पढमे लब्भइ एगो सेसेसु पएसु तिय तिय तियंति । दो नव तिय दो नवगा तिगुणिय सीयाल भंग
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