________________
तृतीयोऽ धिकारः३
महानिधी
देवी कुरुकुल्ले अमुकं कुरु स्वाहा इसमंत्रका १०८ बार जाप करे तो मंत्र सिद्ध होताहै. इसमंत्रको अच्छा दिन देखकर विद्यारत्न
चंद्रबल आदिका निर्णय करके साधन करे. धुपदीप फलपुष्पनेवेद्य आदि अष्टप्रकारी पुजाका सामान सामग्रीमें समझना चाहिये.
दुष्टं कुष्टं क्षयं याति, क्षारनीरं पयायते । पुष्प मालायते व्याल, कुन्ताग्र कुसुमायते ॥ १९ ॥ नीर पुरायते वन्हिः, गरलंच सुधायते । माघमासायते ग्रीष्मो, रविःशीतकरायते ॥२०॥
नित्यैक द्वित्रिसंमुत, ज्वरो याति परिक्षयं । कंपस्वेदादिकादोषा, गच्छन्ति प्रलयं क्षणात् ॥२१॥ ___ आज्ञा मात्रेणच क्षुद्रा, वृश्चिकाद्याः तनुभुताः । दूरे व्रजन्ति विद्याया, एतस्या सुप्रभावतः ॥ २२ ॥ भाषा-इसमंत्रके प्रभावसे दुष्ट कोडकी व्याधि नाश होती है, खारा पानी मिठा होता है, सर्प फुलकी माला 3 सदृश आचरण करता है, भालेका अग्रभाग फुल सदृश होता है, सुर्य, चंद्रमाके सदृश होता है, रोजका, दोदिनका, तीनदिनका कंप खेदआदिका ज्वर नाश होताहै, क्षुद्रवृश्चिकादि जंतु हुकमसे दुर भाग जातह.
ॐउच्छिष्टपिशाचिनीदेवी, महीस्वाहेतिकथ्यते। उच्छिष्ट पिशाचिनी नाम, विद्यासर्वज्ञभाषिता॥२३॥ भाषा-मंत्रोद्धारः ॐ उच्छिष्ट पिशाचिनी देवीमहीस्वाहा. सर्वज्ञ भगवानने उच्छिष्ट पिशाचिनी विद्याकथन कियाहै. ___मृन्मयीपुत्रीकां कृत्वा, जरत्झंखरसूर्पकम् । एकान्ते स्थापयेत्तां च, पूजयेत् च यथाविधिः ॥ २४ ॥
Jain Educational
For Personal Private Use Only
anelibrary.org