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________________ तीब(घणे),रागवाली, और, जो, भाषाहै। तीत्र, द्वेषवाली, वैसे ही,तथा । मृपावाद(झूट) के, विरमगमे। यह, कहाहै, अतिक्रम ।। तिव्व, रागा, य, जा,भासा। तिव्व,दोसा, तहेव, य॥ मुसावायस्स,वेरमणे। एस, वुत्ते, अइक्कमे।३।। + अवग्रह कुं,फेर,नहीं याच(पांग)के। नहीं दियेहुर, और,अवग्रहमें रहना)। अद तादान(चोरि के,विरमणमे। यह, कहाहै, अतिक्रम । नग्गह, च, अजाइत्ता। अविदिने, 'य, 'नग्गहे॥ अदिन्नादाणस्सवेरमणे। एस, वुत्ते,'अइक्कमे।४। शब्द, ३रूप, ४रस। "गंध, स्पर्शोकी,प्रविचारणा करनी। मैथुनके, विरमणमें । यह, कहाहै, अतिक्रम । इच्छा, मूर्छा, सहा,रूवा,रसा। गंधा,फासाणं पवियारणे॥मेहुणस्स,वेरमणे। एस, वुत्ते, अइक्कमे।५।'इच्छा, मुच्छा, और,गृद्धि १०,तथा। कांक्षा रूप,लोभ,और, भयानक। परिग्रके, विरमणमें। यह, कहाहै, अतिक्रम ।६। अतिमात्रासे १२ य, गेही, या कंखा, लोभे. य, दारुणे॥ परिग्गहस्स,वेरमणे।"एस. वुत्ते, अइक्कमे॥६॥'अइमत्ते, और,आहार(करना)। मूर्य क्षेत्रके १३, शंकितहोतेहुए। रात्रिभोजनके, विरमणमें। यह, कहाहै, अतिक्रम ७ दर्शन, ज्ञान, य, आहारे।सूर खित्तम्मि, संकिए। राईभोअणस्स,वेरमणे। एस, वुत्ते, अइक्कमे॥७॥दसण, नाण, १ उपाश्रय । २ बीणा आदि वाजित्र वगेरहके। ३ खी अदिके। ४ तीखे-कडुए आदि। ५ फूल आदिको । ६ उष्ण-शीतादि ७. रागपूर्वक सेवना। ८ नहीं मिली 卐 किसी वस्तुकी अभिलाषा । ९ नहुइ या गमी(खोइ)हुइ वस्तुका शोच । १० मिलीहुइ मौजूद वस्तुमें ममत्वभाव । ११ नही मिले विविध पदार्थोकी वांछा । १२ खुदकी ज भूख के प्रमाणसे अधिक। १३ सूर्य के उदय-अस प्रमाग आकाश क्षेत्रने सूर्यका उदय वा अल हुआ या नहीं, इसतरहकी शंका रहतेहुए। For Personal Private Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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