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________________ जीतसंग्रह विचार अध्यात्म- ad देखता कि यह सब परिवारका मोह ममत्व सुखके कारण है कि दुःखके कारण है जो तत्वदृष्टिसे देखा जावेतो वह सब दुःखके कारणही हैं अशरण रूप है और नरक तीर्यचके महाघोर दुःखदेनेवाले है मैरे आत्मिक अनन्त सुखके | यह सब घाती है ऐसा निश्चय दृढ विचार करके और सबका मोह छोडकर शुद्धात्म उपयोगसें शुद्ध ब्रह्मचर्य सत्य संयम तपश्चर्या और ज्ञान ध्यानसें आत्मकल्याण करना चाहिये देखो कलियुगका जटेटा गाथा-बेटा झगड़त बापसे, करत त्रियासे नेह । वारवार यु कहत है, हमकुं जुदा कर देह ।। हमकुं जुदा कर देह, घरमें चीज सब मेरी । नहीतो करूं फजीत, पत जावेगी तेरी ॥ __ कहै दीन दरवेंश, देखो कलियुगका टेटा । समय पलट गया, बापसे झगड़त बेटा ॥१॥ तीसरी संसार भावना. गाथा-नसाजाइनसायाणी । नतंठाणंनतंकुलं । नजायानमुयाजथ्थ । सबेजीवाअणंतसो।। भावार्थ:-सब लोकके विषे अनंतानंत जीवों रहे हुये है दरेक जीवके साथ एक एक जीवने मात पिता भाई भगिनी स्त्री पुत्र पुत्री सासु ससरा चाचा चाची मासी मामी मामा आदिके साथ अनंती अनंती वेर सगपण हो चूके है कोइभी योनि और कोईभी कुल और कोइभी स्थान बाकी नहीं रहाकि जिसमें यह जीव उत्पन्न नहीं हुआ हो सब जीवों एक एक योनि कुल और जातिके विषे अनंती अनंती वेर जन्म मरण कर चुके है सर्व योनिके विषे.झुलणा-एसंसारकाचाताणातण्याछै । सांधीयेसाततहांतेंरेतटै॥ कदैशरीर आरोग्यतातो योग्य स्त्रीनो नामिलै । कदैस्त्री तणो योग मिल्योतो खोरकखूटै॥ الافكارللكشاف فيه الفانتنیان الاغاني Join Education til For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.pra
SR No.600209
Book TitleAdhyatmavichar Jeet Sangraha
Original Sutra AuthorJitmuni
Author
PublisherPannibai Upashray Aradhak Bikaner
Publication Year1935
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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