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+मंगलाचरणम् । KA
जयइ जगजीवजोणी-वियाणभो जगगुरू जगाणंदो। जगणाहो जगबंधू, जयइ जगप्पियामहो मयवं ॥१॥ जयइ सुआणं पभवो, तित्थयराणं अपच्छिमो जयइ । जयइ गुरू लोगाणं, जयइ महप्पा महावीरो ॥२॥
(नन्दीसूत्र) ऊँकार बिन्दुसंयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोचदं चैव, ऊँकाराय नमोनमः॥१॥
अज्ञानतिमिरान्धानां, ज्ञानांजनशलाकया। नेत्रमुन्मीलितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः॥
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