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________________ माधु प्रति अर्थः-इंडियोना समूहने तेन्ना विषयोमा व्यापार करता तदन बंध कर्या पली, प्रसन्न अंतरात्मामां क्षणवार ने तत्व !! मूत्र स्फुरे , जेनो प्रतिजास याय डे, तेज परमात्मानुं तत्व ले. ॥ १३ ॥ विवेचन-अनादि काळथी विषयोमांज प्रीति करतुं आवेल मन इंडियक्षारथी वारंवार बहारज खेंचाया करे . तेने विषयोमांथी खेंची ली, होय तो, इंडियो लोलसां जेवी मालम पमे जे. जेम केटलीएक गायने एक पाउपर हो पग होय , परंतु ते कंश चालवामां काम आवतो नयी, तेम इंडियो स्थिर थर रहे डे अने मन ज्यारे एम विषयमाथी खेंचायु, सारे जरा आराम पामे डे, जरा शांति अनुन बे, अने तेज दणे तेने कंइक अपूर्वनाव पोताना आत्मामांज जाने बे, आम स्थिर मन यतां जे जणाय डे, ते परमात्मानुं तत्व होय एम नासे डे, पनी छानी महाराजे दीतुं हाय ते खरं.-ना. क. ॥ हवे आमतत्वावलंबीने कोनी आराधना करवी? ते कहे रे ॥ ॥ यः सिझमा परः सोऽहं सोऽहं स परमेश्वरः । मदन्यो न मयोपास्यो मदन्येन न चा प्यहम् ॥ ४ ॥ अर्थः-जेसिज्ञत्मा तेज हुं अने हुं तेज परमात्मा;एटला माटे हुंन मारो नपास्य छ कारण के हुं माराथी जुदो नथी. विवेचन-उपरना श्लोक मुजब कणवार जोतां जेने पोतानुं तत्व प्रतिज्ञासे बे ते अंतरात्मा ने. सारे हुं एटले अंतरात्मा तेज नपासक छ अने परमात्मा नपास्य डे, हवे अंतरात्मामा स्फुरतुं तव तेज परमात्मा डे, अने तेनी नपासना करतां तेज अंतरात्मा परमात्मा थइ रहेडे, आम अंतरात्मानुं परमात्मा साये एटले नपासकर्नु नपास्य साथे अनेदपणु थरदेडे.-ला. क. ॥ हवे परमात्मानी आराधना केम करवा? ते कहे बे. ॥ आकृष्य गोचरव्याघ्रमुखादात्मानमात्मना । स्वस्मिन्नई स्थिरीनूतश्चिदानंदमये स्वयम् ॥ ४॥ अर्थः-आ मारा अंतरात्माको विषयोरूपी वाघना मुखमाथी मारा आत्माने बोमावीने, आ अंतरात्मावमेज मारामां ||१३३॥ जणाता चिदानंदमय परमात्मामा पोतानी मेळे स्थिर थइने हवे रहे. ॥धर ॥ ॥ हवे आत्माने शरीरथी जे जुदो नथी जाणतो, ते प्रति कहे . ।। Join Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600204
Book TitleSadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Original Sutra AuthorSirsala Jain Pathshala
Author
PublisherSirsala Jain Pathshala
Publication Year1908
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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