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________________ ।। अर्थः ___ साधु ब्यासी रात्रि तिहां रही, कम लहां चली :ख ॥ ॥ इंऽ अहिल्याशुं जुन, लुब्ध हुन सुरदेव ॥ ईश्वर देव नचावियो, पा. || मूत्र __ प्रति रखती पियु हेव ॥ १० ॥ ___ मास मखणने पारणे, कुज वालुन आणगार ॥ चित वलगुं संग नारिये चुकत न लागी वार ॥१० १॥ पांचवें रामा । Maran|| तजी, लीधो संयम जार ॥ दश दश नंदिपेवा बूझवी, नर कोश्या दरबार ॥ १०२ ॥ वांधी तांतणा मूत्रना, वीट्यो आईकुमार ॥ मुत माहनी वशें रही, पनी लियो संजम जार ॥ १०३ ॥ पंचसया मुनि नेमना, नर श्री पासना बार ॥ लोग कारण संयम तजी, मांम्यो तिणे घावार ॥ १५ ॥ नवाएं कोमी कंचन तजी, नर तजि आठे नार ॥ ते दुःकर नित बंदियें, श्री जंबू त्रम काल ॥१०॥ एक कन्या कोमी कंचन, तजि जेणे वलि दूर ॥ वहेरस्वामि ते बंदी, नित ऊगमते सूर ॥ १०६ ॥ न. वाणुं पेटी मुरतणी, नित नित होय निर्मात्य ॥ नरजव सुरमुख जोगवे, ते शालिन कुमार ॥ १०॥ रत्नकंबलने कारणे, श्रे. णिक आव्यो बार ॥ गोंखयकी बोली स्यो, लीयो संजमनार ॥ १७ ॥ आठ नारी जेणें राजी, ते धन्नो धन धन्न ॥ नार) हास्य संयम लीयो, राख्यु गम जिणें मन्न ॥ १० ॥ खट नंदन देवकि तणा, नदिलपुर सुलता नार ॥ तास घरे ते नबर्या, रूपं देव कुमार ॥ ११०॥ बत्रीश बत्रीश पदमणी. बत्रीश बत्रीश देम कोक ॥ नेम समीप संयम वरी, ते वदं करजोम ॥११॥ सहस पुरुषशुं संजम लियो, श्रीनेमीसर हाथ ॥ ते यावच्चो वंदियें, मोव कर्यो यदुनाय ॥ ११ ॥ बार वरस 36 आंबिस, कीधां शिवकुमार ॥ शीयलव्रत सदा धरी, ए पण दरकार ॥११३॥ कोश्या मंदिर चोमा रही, चोराशी चोवीश ॥ ने | युविज मुनि वंदियें, नश्वाहु गुरु शिष्य ॥ १४॥ कपिला संमें नवि चस्यो, शेठ सुदर्शन चंग ॥ शृती सिंहासन थई, मुर ॥ करे मनने रंग ॥ ११५ ॥ शिवरमणीने कारणे, जिण सुख ठंड्यां देह । तिस नाम दोय चार लीजिये, नविजन मुणजो तेह ॥ ११६ ॥ वरस दिवस कानसग किन, बाहूबल अणगार । मानगजेंयी कनयों, तब लियो केवल मार ॥ ११७ ॥ गजमुकमाल शिर शोमलें, देखि धर्या अंगार ॥ समता पसायें ते वसो, पाम्या जानो पार ॥ १७ ॥ मेनारज शिर सोनी, वाधर । वीव्यो धरि खेद ॥ निजमन ठामज राखीयु, कियो संसारनो उद ॥ १५ ॥ मुक्कोमल मुकमाल मुनि, बतुर्यु वाघण अंग ॥ बापनी जामि मा जखी, शिवपुरि वरि मनरंग ॥ १० ॥ . पूर्व जब प्रिया शिवालणी, तिण जख्या अवंति मुकमाल। नलिनीगुरुम विमानमां, पाम्यो मुख ततकाल ॥ ११ ॥ Jain Edu International For Personal & Private Use Only wwww.jadorary.org
SR No.600204
Book TitleSadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Original Sutra AuthorSirsala Jain Pathshala
Author
PublisherSirsala Jain Pathshala
Publication Year1908
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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