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________________ अथः . साधु मोहोदा मोढ न कीजियें, न कि माहोटी वात || कोमी अनंत में बेचियो, सारें किहां गई जात ॥ २७ ॥ आपसरूप विचामंतित | रतुं, जो हुइ हियो शान ॥ करणी तेहवी कीजिये, जिम वाधे जग वान ॥ २७॥ वमपा धर्म थाये नही, जोबन एलें जाय ॥ । तरूण पणे धसमस करी. पडे फरी परताय ॥ ३ ॥ जरा आवी जोबन गयु. शिर पलिया ते केश बखता नो बोकीन हीं, न कर्यो धर्म लवलेश ॥ ३० ।। पश्यि जिहां परवमा, रोग जग नावंत ॥ जोवन चंचल आवे रूदा, कर तुं धर्म महंत ॥ ३१॥ ते हाथ न वावर्यो, संबल न कियो साथ ॥ आयगई मन चेतियो, पछे घरे निज हाथ ॥ ३२ ॥ धन जोवन नर रूपनो, गई करे ते गमार ॥ कृष्णा बलन क्षारिका, जातां न लागो बार ॥ ३३ ॥ आठ पहोर तुं धसममी, धनार्थ देशांतर जाय ॥ सो धन मेच्यु ताहरू, नरज कोई खाय ॥ ३४॥ आंग्न तणे फरकमे, कथल पाथल थाय || इस्युं जाणी जीव बापमा, म करीश ममता पाय ।। ३५॥ माया सुख संसारमां, ते सुख सहिय असार । धर्म पसाये मुख मले. ते सुख नावे पार ॥ ३६ ॥ नयन फरुके जिहां खगें, तिहां तहारुं महु कोय ॥ नयन फरूकत जब रही, तब तहारं नहि होय ॥ ३५ ॥ पाप कि यां जिव ते बहु, धर्म न कियो लगार || नरग पड्यो यम कर चड्यो, तिहां करे पोकार ॥३॥को दिन राणी राजियो, कोई दिन जयो तुं देव ॥ कोइ दिन रांक तुं अवतर्यो, करतो रज सेव ॥ ३५ ॥ कोइ दिन कोमी परिवर्यो, कोइ दिन नहि को पास ।। को दिन घर घर एकलो, जमे सही ज्युं दास ॥४०॥ को दिन सुखासन-पालखी, जेठमची चकमोल || रयपाला आगल चले. नित नित करत कलोल ।। ४ ।। को दिन कूर कपूर तुं, जावत नही लग र ॥ को दिन रोटी कारणे, जमतो घर घर बार ॥ ४२ ।। हीर चीर अंग पहेरियां चुआ चंदन बहु लाय ॥ सो तन जतन करत यौं, क्षिणमांही विघाय ॥ ४३ ॥ सातम गोख तु शोलतो, कामिनि लोग विलास ॥ इक दिन वही आवशे, रदेणोही वनवास ॥॥ रूपें देव कुमार सम, देख मोहे नर नार ॥ सो नर खिण कमां वली, बलि जलि होवे बार ॥ ४५ ॥ जे विन धमिय न जायती, सो बरसां सो जाय ॥ ते वजन विमरी गयो, नरहिंसुं चित्त लाय ॥ ४६॥ दे। खत सब जुग जातुही, थिर न रही सवि कोय ॥ इस्युं जाणीनो कीजियें, हिय विमामी जोय ॥ ४५ ॥ सुरपति सवि से ।। वा करे, राय राणा नर नार ।। आय पहोते आत्मा, जात न लागे वार ॥ ॥ देखत नर अंधा हुआ, जे मोह विंटया बाल ॥जण्या गण्या मूरख वली, नर नारी बाल गोपाल ।। ए ॥ रात दिवस तिज नारिशुं, तुं रमतो मनरंग ॥ जे जोश्य ते -४० Jain Educ lon International For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org
SR No.600204
Book TitleSadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Original Sutra AuthorSirsala Jain Pathshala
Author
PublisherSirsala Jain Pathshala
Publication Year1908
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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