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________________ माधु || तेमां चौदमी गाया प्रणवार कहेवी. पड़ी त्रण नवकार गणवा, पनी नेली त्रण गाथा कहेवी. सारवाद निश न आवे, || सूत्र || मांमुधि सफाय ध्यान कर. ॥ इति. ॥ अर्थ प्रतिक ॥२५॥ ॥पातिक प्रतिक्रमणमां कोस्ने क पावेतो करवानो विधि.॥ जो पाक्तिक अतिचार अगान बॉक आवे तो इरियावहीथी मांझीने प्रारंथी सर्व फरीने करवं. सारपडीकृशांति' मुधिमां आवे तो 'उरकरकन 'नो कानसग्ग कर्या अगान रियावही पमिक्कमी लोगस्स कही खमासमण देश् श्वा० शेपश्व उहमावणार्थ कानसग्ग करूं? इच्छं कहो अनत कही चार लोगस्तनो कानसग्ग 'सागरवर गंजिरा' मुधि करवो, ते नी. चेनी गाथा कहीने पारवो. ॥ सर्वे यहांबिकाद्या ये, वैयावृत्यकरा जिने ॥ कुशेपश्ध संघातं, ते द्रुतं शवयंतु नः ॥१॥ अर्थः-(यदांबिकाद्याः के० ) यद अने अंबिकाआदिक के, (ये के0 )जे (जिने के0) जिनशासनमां (वैयावृत्यकराः के0 ) वैयावच्च करनारा बे (ते सर्वे के0 ) ते सघला (नः के0 ) अमारा (सुशेपश्वसंघात के0) कुश नपश्चोना समूहने (द्रुतं के०) तुरत (घावयंतु के0) नाश करो! ॥१॥ वडी प्रगट लोगस्स कहेयो. ॥ मासे कानस्सग्ग करवानो विधि ॥ चैत्र मुदि ११-१२-२३ तथा, आसो मुदि -११-१२-१३ ए त्रण प्रण दिवसोए दररोज देवसिक प्रक्रिमणमा सजकाय | कह्यापली आ कानस्सग्ग करवो. प्रथम खमासमण देव श्वासचित्तचित्त रज रहामावणीणवं कानस्संगावं करेमि काठस्सग्गं अन्ननुकही चार लोगस्सनो सागरवर गंजिरा' मुधि कानस्सग करवो. पारीने लोगस्स कहेवो. ॥३५३ Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600204
Book TitleSadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Original Sutra AuthorSirsala Jain Pathshala
Author
PublisherSirsala Jain Pathshala
Publication Year1908
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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