________________
11911
Jain Educatiomational
韭票态些恶态费态
श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः २६६ ॥ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः ॥ श्रीमणिबुद्ध्याणंदहर्ष कर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः
| लोकनालिद्वात्रिंशिकादिप्रकरणषट्कम् ।।
(लोकनालि - लध्वल्पबहुत्व योनिस्तव - भावप्रकरणं कुपदृष्टान्तविशदीकरण प्रकरणं निशाभक्ते स्वरूपतो दूषितत्व विचारात्मकं )
: संशोधकः संपादकश्च :
तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेव श्री विजयकर्पूरसूरीश्वर पट्टधर - हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्यदेव श्री विजयामृतसूरीश्वर - पट्टधरः पूज्याचार्यदेव श्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरः
: सहायका
पू आ. श्री विजयजिनेन्द्र सू. सदुपदेशतः श्री हालारी वीशा ओसवाल तपागच्छ जैन उपाश्रय धर्मस्थानक ट्रस्ट, ४५, दिग्विजय प्लोट, जामनगर तथा च पू. सा. श्री इन्द्रप्रभाश्री सदुपदेशतः श्री थानगढस्थ हालारी वोशा ओसवाल इबे. मू. तपा. संघ प्रदत्त साहाय्येन
प्रकाशिका : श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल - शांतिपुरी (जि. जामनगर ) सौराष्ट्र
业融合中静态辛业西太平
For Personal & Private Use Only
404
11911
ainelibrary.org