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________________ श्री० रा० ॥ ३८ ॥ दंत जिया दामि कली, कंठ मनोहर कंबु ॥ पुरकपाट परि हृदयतट, ज जोगल जिम लंबु ॥ ५ ॥ केड लंक केदरि समो, सोवन वन्न शरीर ॥ फूल खरे मुख बोलतां ध्वनि जलधर गंजीर ॥ ६ ॥ चोक चोक चहुटे मियां, रूपे मोह्यां लोक ॥ मदेल गोंख मेमी चडे, नर नारीनां थोक ॥ ७ ॥ मुग्धा पूढे मायने, मा एकुण अभिराम ॥ इंद चंद के चक्कवी, श्याम राम के काम ॥ ८ ॥ माय कहे मदोटे स्वरे, च्यवर म ऊंखे च्यान ॥ जाय जमाई रायनो, रमवा कुंवर श्रीपाल ॥ ए ॥ अर्थ तथा जेवी दामिनी कली शोजे ते सरखा दांत शोने बे, कंब तो मनोहर ( कंबु के० ) शंखना जेवो शोने बे, ( पुरकपाट के० ) नगरना दरवाजाना कमामनी पेरे जेनुं हृदयतट शोने वे तथा जोगल सरखी लांबी एवी वे लुजार्ज शोने वे ॥ ५ ॥ केमनो लंक ते केसरी सिंह सरखा शोने बे, शरीरनो वान सोना सरखो शोने बे, मुखे बोलतां जाणीए फूल खरी नीचे पकतां होय नहीं ? तेवां वचन मुखमांथी नीकलतां शोने बे. वली ( जलधर के० ) मेघ तेना सरखो गंजीर बे ( ध्वनि के० ) खर जेनो एवो श्रीपाल कुमर चौटामांयी चाल्यो जाय बे ॥ ६ ॥ ते श्रीपा लना रूप उपरे मोह पाम्यां थकां तेने जोवा माटे चोक चोकने विषे चौटा मांहे घणां लोक एकां मध्यां वे. वली कोई एक महेल उपर, कोइ एक गोंख उपर, कोइ मेडी उपर चमीने, एम श्रीपालने जोवा माटे मनुष्य तथा स्त्रीजनां थोके थोक तिहां एकठां थयां बे ॥ ७ ॥ ते समये कोइक ( मुग्धा के० ) बालिका श्रीपालने जोइने पोतानी माताने पूढे ठे के हे माताजी ! या ( ( अनिराम के० ) मनोहर रूपवंत पुरुष ते कोण बे ? इंद्र बे ? के चंद्र बे ? के चक्रवर्ती बे ? के ( श्याम के० ) श्रीकृष्ण के ? के रामचंद्रजी बे ? के कामदेव बे ? ॥ ८ ॥ एवी पोतानी पुत्रीनी वाणी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only) खन. २ 11 3011 www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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