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________________ 454545445545554545454543 घणुं शुं कहीए ? तुं एक समकित पदनी नक्तिने प्रनावे करी श्रावती चोवीशीमां पद्मनान एवे नामे प्रथम तीर्थंकर थश्श. ए निश्चयथी मनने विषे नाव, पटले नावना कर ॥ ६ ॥ गौतमवचन सुणी इस्यां, मगध नरिंद ॥ वधामणी आवी तदा, आव्या वीर जिणंद ॥ ॥ देवे समवसरण रच्युं, कुसुमष्टि तिहां कीध ॥ अंबर गाजे उंउन्नि, वर अशोक सुप्रसिद॥ ॥ सिंहासन मांड्यु तिहां, चामर उन ढलंत ॥ दिव्य ध्वनि दीए देशना, प्रनु नामंडलवंत ॥ ए॥वधामणी देवांदवा, आव्यो श्रेणिक राय ॥ वांदी बेगे परखदा, नचित थानके आय ॥ १० ॥श्रेणिक उद्देशी कहे, नव पद महिमा वीर ॥ नव पद सेवे बहु नविक, पाम्या नवजलतीर ॥११॥ अर्थ-एवां गौतमखामीनां वचन सांजलीने मगध देशनो राजा श्रेणिक तिहाथी उठ्यो.181 (तदा के० ) ते वारे वधामणी श्रावी जे श्रीवीर जिनेश्वर आव्या ॥७॥ देवताए समवसरण दू रच्युं, तथा कुसुमनी वृष्टि करी, श्राकाशमां देवउंऽनिनो गर्जारव थाय . जिहां प्रधान एवं है अशोकवृक्ष सुप्रसिक ॥ ॥ तिहां सिंहासन मांड्युं बे, चामर ढली रह्यां बे, त्रण बत्र मस्तके 2 बिराजे बे. तिहां नामंगलवंत एवा जे प्रजु ते दिव्य ध्वनिए देशना आपे . ए कुसुमवृष्टिधी 3 मामीने दिव्य ध्वनि पर्यंत प्रजुनां आठ प्रातिहार्य कह्यां ॥ ए ॥ तिहां श्रेणिक राजा पण वधा-14 मणीयाने वधामणी दश्ने प्रजुने वांदवाने माटे आव्यो. ते वांदीने पर्पदाने विषे उचित एटले योग्य स्थानके आवीने बेगे ॥ १० ॥ वीर नगवान् पण श्रेणिक राजाने उद्देशीने नव पदनोज 2 महिमा कहे ले के ए नव पद सेव्याधी घणा जव्य जीव संसारसमुजनो (तीर के०) कांगे पाम्या बे॥११॥ SALALAMOROLORSCOROSCALCULAMSALU. For Personal and Private Use Only www.sinelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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