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________________ श्रीराम रह्यो थकां तिहांज नवमा देवलोके पूर्ण थाउखे उपन्यां, अथवा सर्व श्रायु पूर्ण करीने तिहां खम. ४ ॥रएजा उपन्यां. तिहां विमाननां सुख जोगवे ने ॥ ५ ॥ नरनव अंतर स्वर्ग ते, चार वार लदी सर्व ॥ नवमे नव शिव पामशे, गौतम कदे निर्गर्व ॥ ३ ॥ ते निसुणी श्रेणिक कदे, नव पद उल्लसित नाव ॥ अदो नव पद महिमा वडो, ए नवजलनाव ॥ ४ ॥ वलतुं गौतम गुरु कदे, एक एक पद नत्ति॥ देवपाल मुख सुख लह्यां, नव पद मदिम तदत्ति ॥ ५॥ किंबहुना मगधेश तुं,श्क पद नक्ति प्रत्नाव ॥ दोश्श तीर्थंकर प्रथम, निश्चय ए मन नाव ॥६॥ | अर्थ-तिहांथी वली नरजव पामीने वली खर्गे जशे. एम चार वार देवपणुं ने चार वार मनुष्यपणुं पामी बेहो नवमो मनुष्यनव पामीने नव राणी, माता तथा पोते सर्व मली अगीयारे जण शिव जे निरुपव मोक्षस्थानक तेने पामशे. ए प्रकारे श्रेणिक राजानी। पागल गर्व रहित एवा श्रीगौतमस्वामी श्रीपालनो वृत्तांत कहेता हवा ॥३॥ ते श्रीगौतम-18 खामीनां क्चन सांजलीने नव पदने विषे उदास पाम्यो रे नाव जेनो एवो श्रेणिक राजा कहे है के श्रहो ! इति याश्चयें ! ए नव पदनो महिमा जु. केवो मोटो ? ए नव पद जे तेसंसार समुरुमां नाव समान वे ॥ ४ ॥ वलता श्रीगौतम गुरु कहेता हवा के एकेका पदनी नक्ति करवाना महिमाथी देवपाल प्रमुखे सुख लह्यां, पाम्यां, तीर्थकरगोत्र बांध्यु. ते विचारामृतसंग्रह | ॥रए॥ ग्रंथ मांदे एकेका पदना वर्णने वीश दृष्टांत विस्तारे कथा सहित वखाण्यां ठे, एवो नव पदनो: महिमा तहत्ति एटले सत्य ॥ ५॥ हे मगधेश! एटले मगध देशना अधिपति ! किं बहुना एटसे Jain Education infectional For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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