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________________ ॥दोहा॥ कोइ कहे धिक रायनो, एवडो रोष अगाध ॥ कोइ कहे कन्या तणो, ए सघलो अपराध ॥१॥ उतारे आव्या सहु, सुणतां श्म जन वात ॥ अनुचित देखी आथम्यो, रवि प्रगटी तव रात॥२॥ यथाशक्ति उत्सव करी, परणावी ते नार ॥ मयणा ने जंबर मली, बेगं जवन मकार ॥ ३॥ अर्थ-हवे एवं कृत्य जोडने कोडक तो कहे के पोताना फरजंद उपर एटलो अगाध रोष राखे डे माटे ए राजाना रोषने धिक्कार , वली कोश्क तो एवं कहे जे के ए सर्व अपराध कन्या-18 नोज ॥ यतः ॥ उत्तमस्य दणं क्रोधो, हियामं मध्यमस्य तु ॥ अधमस्य त्वहोरात्रं, चिरको-18 धोऽधमाधमः ॥१॥१॥ एम (जन० के० ) लोकोना मुखथी वातो सांजलतां थका सर्व पोताने, उतारे एटले स्थानके श्राव्या. ते वखते ( रवि के०) सूर्य पण ए अनुचित एटले अणघटतुं कार्य थयुं देखीने (श्राथम्यो के०) अस्त पाम्यो, ते वारे रात्रि प्रगट थ॥२॥ राजाए वर्ष विना ते कन्या कोढीयाने जलावी, अने कोढीयाए पण यथाशक्तिए उत्सव करीने ते कन्या पोताना |जंबर राजाने परणावी दीधी. पड़ी मयणा अने लंबर ए बेहु स्त्री नगर मलीने उतारानुं नवन जे घर, तेमां जश् बेगं ॥३॥ ॥ ढाल बची ॥ कोश्लो पर्वत धुंधलो रे लो॥ ए देशी ॥ चंबर मनमां चिंतवे रे लो, धिक धिक मुज अवतार रे ॥ बबीली ॥ मुज संगतथी विणसशे रे लो, एदवी अनुत नार रे ॥ रंगीली ॥१॥ अर्थ-हवे उंबर राणो पोताना मनमां चिंतघे जे के धिकार , धिक्कार , मारा अवतारने! था Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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