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________________ रति श्रने अरति जे तेने तमे निवारी, अने वली इहलोक लय, परलोक जय इत्यादिक सात जे । |नारे जय बे ते पण हे मुनीश्वर ! तमे मनने विषेधस्याज नहीं, एटले ए सात जयने तो तमे गणतीमा Kगण्याज नहीं, परंतु तमारामांथी क्रोधादिक गये थके एमने तमारी पासे रहे पुष्कर थपड्यं, तेथी तेज सर्व नय उलटा तमाराथी ( मरीया के०) बीता थका पोतानी मेसेज पूर खसी गया, माटे तमे मोटा ऋषीश्वर बो. वली हे स्वामिन् ! ज्यांसुधी चित्तमां शुन्ज अशुन राग द्वेषनां । जोर क्षीण थयां नथी त्यांसुधी उगंबा दे, परंतु ते तमारामां नथी, माटे ते उगंबा पण तमे तजी,18 तो हवे शी तुज वंबा एटले कां पण वांडा तमारे रही नथी.वली तमे (पुग्गल के) पुजल अने (अप्पा के०) श्रात्मा, एटले पूरण गलन वजाव जेनो तेने पुजल कहीए, ते पुजल अनित्य अत एव विनाशी बे, अने आत्मा ते निश्चे अविनश्वर नित्य बे, ते बेहुने पोतपोताना लक्षणने लखवे करी जूदा जूदा पदे करी बेहु पोतपोतामां निन्न डे एम करी स्थाप्या ने ॥५॥ परिसदनी फोजे तुं निज मोजे ॥ वि० ॥ नवि नागो लागो रण जिम नागो एकलो ॥ वा० ॥ उपसर्गने वर्गे तुं अपवर्गे॥ वि०॥ चावंतां न डीयो तुं नवि पडीयो पाशमां ॥ वा ॥६॥ __ अर्थ-वली हे स्वामिन् ! जुधा, पिपासा श्रादे दश्ने वावीश परिसहनी फोज ते आवे थके तेमांथी तमे पोतानी मोजे संयममार्गे चादया गया, परंतु परिसहना समूहथी बीक पामीने (नवि|| नागो के०) तमे पाला जाग्या नहीं, लगारमात्र पण तेनो जय गण्यो नहीं. उलट सामा संयममार्गमा लागी रह्या. ते कया दृष्टांते ? तो के (रण जिम नागो एकलो के० ) नागो जे हाथी ते है जेम रणसंग्राममा एकलोज लाग्यो रहे, शस्त्रना घणा प्रहार पोतानी उपर पडे तोपण रणमांथी का पाठो उसरे नहीं, तेम तमे पण पाना नागता नथी, माटे ए श्राश्चर्य जाणवू. वली उपसर्गों बे प्रका-181 |रना . तेमां जे स्त्रीना हावनाव, विन्रमविलासादिक विषयप्रार्थना प्रमुख करवे करीने थाय है। Jain Education Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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