SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 280
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीरा एटले फूलनां गोगां मुकुटमा लटकावे , ते पण युद्धमाथी पाठा पग जरे नहीं, एम लोकोक्ति है. तेमज केटलाएक सुनटो पोताना (हब के०) हाथने विषे ( वर के०) श्रेष्ठ एवां ( वीर-1 ॥१३॥ वलय के० ) वीरपणानां कमां पहेरे , एटले वीरवलये करी जेना हाथ शोने ३ ते पण वीरनु । बिरुद धारण करे , माटे ते संग्राममांथी पाग पग जरे नहीं. एवी रीते चंदने विलेपित अंगवाला तथा चंपानां फूलोनां बोगां धरनारा अने वीरवलय पहेरनारा इत्यादिक शोनाए करी सुशोजित थका ते सुनटो जाणीए साक्षात् कल्पवृदाज होय नहीं ? तेनी परे बन्या थका दीसे डे ॥३॥ को जननी कहे जनक मत लाजवे, कोई कदे मादरं बिरुद राखे ॥ जनक पति पुत्र तिहुं वीर जश उजला, सोदि धन जगतमां अ णीय आखे ॥ चंग ॥४॥ | अर्थ-हवे ते सुनटो घरथी तैयारी करी युद्ध करवा माटे नीकल्या, ते वखते कोश्क सुजट में पोतानी मातानी तेमज कोश्क पोतानी स्त्रीनी शीख मागे, ते वारे तेने ( जननी के० ) माता एम कहे जे के हे पुत्र ! तारा ( जनक के०) पिता महा शूरवीर हता, को स्थले संग्राममांथी। पाग हव्या नथी, एवा वीरविरुदना धारक हता, माटे तेने तुं लजावीश नहीं, तुं पण जयवंत थइने मुजने मुख देखामजे, अथवा शत्रुने हणतां मरण पामजे, पण नासजे नहीं. वली कोश्क है। सुनटनी माता एम कहे डे के तुं मारु विरुद राखजे, केमके हुँ वीरपुत्री अने वीरपत्नी ए वे है। बिरुदधारक तो कहेवाणी बुं, एटले मारो पिता अने मारो गरि ए बे तो शूरवीर थ गया बे, हवे तुं पण शूरवीर थजे के जेणे करी हुँ त्रीजा वीरप्रसूता नामे |बरुदनी धारण करनारी पण कहे-18|॥१३॥ बा! एटले जनक, पति ने पुत्र, एत्रणे जेना वीर यशे करी नजला जगत्रयमां आखी अ-15 पीए रहे ते धन्य. एवां मातानां वचन सांजली ते सुनट वीरपणुं श्रादरी संग्राममां आव्या ॥४॥ Jain Education Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy