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________________ तिहां कुरुजंगल देशथी रे, आव्यो अवनीपाल ॥ सन्ना मांदे सोहे घणो रे, यौवन रूप रसाल रे॥नृप० ॥१६॥ शंखपुरी नयरी धणी रे, अरिदमन तस नाम ॥ ते देखी सुरसुंदरी रे, अंगे उपनो काम रे ॥ व० ॥ १७ ॥ पृथिवीपति तस नपरे रे, परखी तास सनेद ॥ तिलक करी अरिदमनने रे, आपी अंगजा तेद रे ॥ व०॥ १७ ॥रास रच्यो श्रीपालनो रे, तेदनी बीजी ढाल ॥ विनय कदे श्रोताघरे रे, होजो मंगलमाल रे॥व०॥१५॥ अर्थ-एवा अवसरने विषे कुरुजंगल नामे देश थकी दमितारि राजानो पुत्र (अवनी के०) पृथ्वी तेनो (पाल के० ) पालनारो एवो ते राजा उजायणीना राजानी सेवा करवाने अर्थे त्यां श्राव्यो . ते यौवन अवस्था तथा रूपसौंदर्य तेणे करी( रसाल के संदर. माटे सजा मांहे बेगे थको घणुं शोने ॥ १६ ॥ ते शंखपुरी नामे नगरीनो स्वामी ने, अने अरिदमन एवं तेनुं नाम बे. तेने देखीने सुरसुंदरीना अंगने विषे काम उत्पन्न थयो ॥ १७॥ ते वारे पृथिवी-15 पति जे राजा तेणे अरिदमननी उपर सुरसुंदरीनो स्नेह परखीने तिलक करी पोतानी सुरसुंदरी नामे अंगजा जे पुत्री, ते तेने थापी ॥ नयन नयनकी पारसी, नयन नयनको हेत ॥ नयन 8 नयनके नयनमें, नयन नयन कह देत ॥१॥ १७ ॥ ए श्रीपाल राजाना रासनी रचना करी तेनी बीजी ढाल पूर्ण थ२. विनयविजय उपाध्यायजी कहे जे के सांजलनाराने घेर मांगलिकनी माला होजो ॥ १॥ Sain Education International For Personal and Private Use Only ainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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