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खम. ३
श्रीराण ते वारे राजाए पण खुशी थश्ने तेमनुं महत्त्व वधारवा माटे कुंवरनी पासे पान-बीडुं देवराव्युं॥५॥ ॥७॥
हवे जे वारे पान- बीडं देवाने माटे श्रीपाल कुंवर ते डुबोनी पासे आव्यो, ते वारे ते डुबोमा जे वमो एटले मोटो हुंब बे, ते कुंवरनुं हसित वदन हसता मुखने पोते पण हसीने जोतो थको अथवा पोताना इसित वदने हसीने श्रीपालने जोतो थको मनमां घणो उदास एटले हर्ष श्राणीने कुंवरना गलामां जर वलगी रह्यो, अने कहेवा लाग्यो के हे पुत्र ! तुं आज जले श्रमने नेव्यो, मोटी वात थ जे तुं आज थमने मल्यो ॥६॥
एदवे आवी डुबमी रे, रोइ लागी कंठ रे॥चतुर॥ अंगोअंगे नेटती दो लाल ॥ बढ्न थश्ने एक मली रे, आणी मन उत्कंठ रे॥ चतुर ॥ वीरा जाउं तुम नामणे हो लाल ॥ ७॥ एक कदे मुज माउलो रे, एक कदे नाणेज रे ॥ चतुर ॥ एवडा दिन तुमे किहां रह्या दो साल ॥ एक काकी एक फर थ रे, देखाडे घणुं देज रे ॥ चतुर ॥ वाट
जोतां दतां तादरी दो लाल ॥७॥ अर्थ-एवामा वली एकी घरमी मुंवमी हती ते दोमी आवीने रोती थकी पुत्र ! पुत्र ! करती। कुंवरने गले वलगीने अंगोधेगे नेटती हवी,अने कहेती हवी के हे वत्स ! आज केटले काले तुंअमने | PI मख्यो ? एमज वली एक जणी बहेन थश्ने कुंवरने श्रावी मली, अने कहेवा लागी के हे वीरा ! हे बंधव ! ढुं तारे जामणे जा. (तेमज एक कहेवा लागी के था मारो नत्रीजो बे, एक कहेवा लागी के था मारो देवर , एक कहे जे के ए मारो नर्त्तार बे, मने नानी परणीने मूकी गयो हतो ते श्राज मारा पुण्योदयश्री मने मल्यो)॥७॥तेमज एक डुंब कहे के ए मारो मामो बे, एक कहे जे के या मारो नाणेज बे, अरे नाइ ! एटला दिवस तमे क्या रह्या हता ? तमे
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