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नपराजी इणे शदि, ते काजे ताहरे रे॥ते काजे॥धणी थाये नाग्यवंत, कमाइ कोइ मरे रे॥ कमाइ० ॥ करशुं इस्यो नपाय, के ए दोलत घणी रे ॥के ए॥ अने सुंदरी दोय, के थाशे तुम तणी रे ॥ के थाशे ॥५॥ जिम पामे विश्वास, मलो तिम एहशुं रे॥ मलो० ॥ मुखे मीठी करो वात, के जाणे नेहशुं रे.॥ के जाणे ॥ मीठी लागी वात, ते शेग्ने मन वसी रे॥ ते शेग्ने॥ आव्यो फीटणकाल, ते मति तेदनी खसी रे॥ते मतिः ॥ १० ॥धज देखे डांग, न देखे मांकडो रे॥न देखे ॥ मस्तक लागे चोट, थाये तव रांकमो रे॥थाये ॥रोगी करे कुपथ्य, ते लागे मीउडुं रे ॥ ते लागे ॥ वेदन व्यापे जाम, ते थाये अनीउडुं
रे ॥ ते थाये ॥११॥ A अर्थ-हे शेठजी ! हुँ एम धारुं दुं जे ए श्रीपाले एटली इडि जे उपार्जन करेली ते
सर्व तारेज काजे बे, एम जाणजे. ते उपर दृष्टांत कहुं बुं, ते सांजल. जेम को निर्भाग्य पुरुष होय ते कमाइ एटले संचय करीने मरी जाय. पठी तेनी कमायेली लक्ष्मीनो धणी 3 तो कोई जाग्यवंत पुरुष होय तेज थाय, माटे आपणे कोर एवो उपाय करशुं के जेथी ए घणी जे दोलत ३ ते अने वली था बे सुंदरी ले ते पण सर्व तमारी थशे ॥ए॥ माटे हवे
तमारा उपर विश्वास पामे तेवी रीते तमे एनी साथे मलो तथा जेम ए जाणे के स्नेहे करीनेज | Bामने कहे जे तेम तमे तमारा मुखे एनी साथे मीठी वात करो. ए चोथा मित्रनी वात ते शेठने 8
मीठी साकर जेवी लागी, थने शेठना मनमां पण वसी जे था वात पीक कहे , कारण के तेनो।
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