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श्रीरात
खंग
A के जे उनो ने उनो सुका जाय डे ? कांज नहीं, परंतु जे अदे माणस ने ते बीजानी सारी स्थिति थयेली जोक्ने पोते कुःखी थाय ने एम जाणवू ॥७॥
जे किरतार वडा कीया, तेशुं केदी रीस ॥ दांत पड्या गिरि पामतां,
कुंजर पाडे चीस ॥ ए॥ | अर्थ-पण खरी वात तो एज डे के जेने किरतारे मोटा कस्या तेनी साथे वली केवी रीस करवी?18 तेनी साथे रीस करवायी उलटुं रीस करनारनेज फुःखी थर्बु पडे बे. कोनी पेठे ? तो के जेम (कुंजर के०) हाथी जे ने तेणे पोताने मोटो समजीने दांते करी गिरि जे पर्वत तेने पामी नाखवा माटे उद्यम कस्यो, परंतु तेने पामवा जतां उलटा पोतानाज दांत त्रूटी पड्या, ते वारे मोटी चीसो पाडीने नासवा मांड्यु. ए दृष्टांते अहीं धवल शेठ पण श्रीपाल कुंवरने फुःखी करवा माटे उद्यम | करे बे, परंतु तेने छःखी करवा जतां पोतानेज फुःखी थq पडशे, ते वात आगल कहे ॥३॥
॥ ढाल पहेली ॥ ॥राग महहार ॥ शीतल तरुवर बहि, के बांह वाखंजनी रे ॥ के बांह ॥ ए देशी ॥ देखी कामिनी दोय, के कामे व्यापीयो रे ॥के कामे व्यापीयो ॥ वली घणो धननो लोन, के वाध्यो पापीयो रे ॥ के वाध्यो० ॥ लाग्या दोय पिशाच, के पीडे अति घणुं रे ॥ के पीडे ॥ धवल शेग्नुं चित्त, के वश नहीं
आपणुं रे ॥ के वश ॥१॥ अर्थ-एम ते शेठ पुष्ट अध्यवसायने योगे एक तो श्रीपालनी ( दोय के० ) बे (कामिनी के०) शास्त्री ने, तेमने देखीने कामे करी व्याप्त थयो, तथा वीजु वली श्रीपालनी पासे घणुं धन , ते
लश् लेवानो लोन शेठने लाग्यो. तप जे पाप तेणे करीने वाध्यो, अथवाधन लेवाना लोने करी ते 2
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॥१॥
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