________________
धवल शेठ घj घणुं कुख्या करे ले के अरे ! आ तो एकलोज मारी साथे चाकर दाखल श्रावेलो| पाहतो तो है है इति खेदे, हे दैव ! हे कर्म ! था ते ते \ कीधुं ? ॥४॥
वहाण अढीसें माहरां, सीधां शिरमां देश॥ जो घर किम जायशे, शद्धि एवडी ले॥५॥ एक जीव ने एदने, ना जलधि मकार ॥ पठी सयल ए मादरुं, रमणी झदि परिवार ॥ ६ ॥ देखी न शके पारकी, शक्षि दिये जस खार ॥ सायर थाये उबलो, गाजते जलधार ॥७॥ वरसाले वनराइ जे, सवि नवपल्लव थाय ॥ जाय जवासानुं कीस्युं, जे
जन्नो सूकाय ॥७॥ अर्थ-एम धवल शेग्ने कुंवरनी कि देखवाथी अदेखाइ उपनी, तेथी विचार करवा मांड्यो के श्रा अढीसें वहाण तो मारा माथामां दश्ने एणे लक्ष लीधां, पण हवे जोडं तो खरो के आ बाटली कि लश्ने केवी रीते पोताने घेर जाय ? ॥५॥ए एकज जीव बे, तेने हुँ (ज
के) समुअमां नाखी दर्ज, पनी ए ( रमणी के० ) बे स्त्री तथा कि श्रने बीजो जे एनो परि४वार ले ते सर्वे मारुंज , ए बापमो क्यां लइ जवानो ने ? एवा पुष्ट अध्यवसाय शेउना थया ।
॥ ६॥ इहां कनिष्ठ पुरुषनां लक्षण उपर दृष्टांत कहे जे के जेम ( जलधार के० ) मेघ ते गाजते । एटले गर्जारव करे, ते वारे (सायर के) समु पुर्बल थर जाय. ए दृष्टांते जे पुरुषना हैयामां 8 (खार के०) अदेखा होय ते पुरुष पण पारकी झकि देखीने खमी शके नहीं ॥ यतः ॥ परवादे दशवदनः, परदोषनिरीक्षणे सहस्राक्षः ॥ संवृत्तवित्तहरणे, बाहुसहस्रार्जुनो नीचः॥१॥इति ॥७॥ वली बीजो दृष्टांत कहे . जेमके वरसादना दिवसोमा अढार नार वनराजी एटले वन-1 स्पतिनी पंक्ति जे ते सर्व नवपद्धव थाय , परंतु तेमां एक बिचारा जवासाना कामर्नु शुं जाय
Sain Education International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org