________________
श्री राण
॥६
॥
कंत सयल परिवार, जम्या पनी नोजन करे जी॥ दास दासीजण ढोर,
खंग.२ खबर सहुनी चित्त धरे जी॥३६॥ जिनपूजा गुरुनक्ति, पतिव्रता व्रत पालजो जी॥ शी कहीए तुम शिख, इम अम कुल अजुवालजो जी॥ ३७॥रयण श६ि परिवार, देश नृपे वादण नयां जी ॥ मयणमंजूषा धूअ, वोलावा सहु नीसयां जी ॥ ३७ ॥ कांठे सयल कुटुंब, हैमां नर नेटी मल्यां जी ॥ तस मुख वारोवार, जोतां ने रोतां पागं वल्यां जी॥ ३॥ कुंअर वादण मांदि, बेग साथे दोश् वढू जी ॥काम अने रति प्रीति, मलीयां एम जाणे सहु जी॥ ४० ॥ बीजे खेमे एद, ढाल थुणी इम
आठमी जी ॥ विनय कहे सिक्ष्चक्र, भक्ति करो सुरतरु समी जी॥४१॥ | अर्थ-पोतानो जार तथा बीजो पण परिवार जे होय ते सर्वे जमी रह्या पली तुं नोजन करजे. वली दास, दासीजन तथा ढोर प्रमुख सहुनी खबर लेवी, एवं चित्त धरे, एटले चित्त राखजे॥३६॥ श्रीजिनेश्वरनी पूजा तथा गुरुनी नक्ति करजो, पतिव्रता व्रतपाल बीजी वधारे शिख तमने अमे शी कही देखामीए ? तमे एम शुजाचरण श्राचरीने अमारा कुलने अजुवालजो ॥३७॥ एवी रीते पुत्रीने शिखामण आपीने पनी राजाए रत्न, कृषि तथा बीजो पण घणो परिवार आपीने वहाण जयां, अने मदनमंजूषा पुत्रीने वोलाववाने माटे सर्व को 31 नीसस्यां ॥ ३० ॥ बंदरने कोठे सर्व कुटुंब आवी हैमां नरी नेटीने मब्यां, पड़ी ते पुत्री- मुख । वारंवार जोतां जोतां श्रने रोतां थकां पागं वक्ष्यां ॥ ३५ ॥ हवे श्रीपाल कुंवर वहाण मांहे पोताना बे स्त्री साथे बेग, ते सहु को एमज जाणे ले के था तो कामदेव अने तेनी रति तथा प्रीति
जहां श्रावी एकमव्यांबे, ए कविए उत्प्रेक्षा करी॥४०॥बीजा खंगने
॥
Sain Education International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org