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________________ - - ए कमाम विण उघडे जी, जालं नहीं आवास ॥ सपरिवार नृपने तिहां जी,त्रण हुआ नपवास ॥प्रजु०॥२०॥त्रीजे दिन निशि पाबली जी, वाणी हुई आकाश ॥ दोष नथी इहां कोइनो जी, कांइ करो रे विषाद ॥ प्रनु०॥२१॥ जेहनी नजरे देखतां जी, उघडशे ए बार ॥ मदनमंजूषा तणो थशे जी, तेहज नर नरतार ॥प्रनु० ॥२२॥ वनदेवनी किंकरी जी, हं चक्केसरी देवी॥ एक मास मांदे हवे जी,आकुं वरने लेवी ॥प्रनु० ॥ २३ ॥ सुणी तेह हरख्यां सह जी, रायने अति आणंद ॥ प्रेमे कीधां पारणां जी, दूर गयां सुख दंद॥ प्रनु० ॥२४॥ दिन गणतां ते मासमां जी, उगे ले दिन एक ॥ तिणे जुवे सह वाटडी जी, विकल्प करे अनेक ॥ प्रनु ॥२५॥ अर्थ-ते माटे हवे ए कमाम उघड्या विना मारे ( आवास के ) घेर जq नहीं. एम कही। राजा परिवार सहित तिहां देरासरमा रह्यो, तेने त्रण उपवास थ गया ॥ २० ॥ पनी त्रीजा दिवसनी पाठली रात्रिए आकाशने विषे एवी वाणी थर के हे लोको ! श्हां कोश्नो दोष नश्री, माटे तमे विषाद शा वास्ते करो बो ? ॥२१॥श्रा गनारानां बारणां जे देवाश् गयां , तेनुं कारण एटर्बु जबे के जे पुरुषनी नजरे देखतां वारमा श्रा वारणां उघमी पडशे, तेज नर ए । मदनमंजूषा कुंवरीनो नर्तार थशे ॥ २५ ॥ हुं श्रीषनदेव स्वामीनी किंकरी एटले दासी चक्केसरी नामे देवी . हवे हुँ एक महीनामां वरने लश्ने आबुं बुं ॥ २३ ॥एवी देवीनी वाणी सांजलीने 8 सहु को हर्षवंत थयां अने राजाने पण अत्यंत आनंद उपन्यो. ते वारे प्रेमे करी पारणां कीधां, CANCERSARGAC-9- Sain Education International For Personal and Private Use Only brary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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