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________________ कनककेतु राजा तिहां आव्यो. ते पोतानी पुत्रीने पूजा करती देखी तेणे करेली श्रांगी रचना संबंधी । चतुराइने देखीने पती तेनु ( विज्ञान के) ज्ञान जाणी मनमां चिंतवना करवा लाग्यो के धन्य ने मारी (धुश्रा के०) पुत्रीने ! ए पुत्री तो चोसठ कलानुं ( निधान के०) घर . एणे आज थआश्चर्यकारी, अपूर्व एवी पोतानी चतुराइ देखामी ने ॥ ए॥ माटे जेवी ए चतुर तेवो एने एना सरखोज जो वर मली जाय तो मारा मनमां घणुं सुख थाय, केमके जे साची सोनानी र मुडिका होय तेमांकाच जमाय नहीं. परंतु हीरा, माणेक, पानां जमाय, तोज ते शोजाने पामे॥१०॥ एम नन्नो शूने मने जी, चिंतातुर नृप होय ॥ण अवसरे अचरिज थयुं जी, ते सुणजो सह कोय॥प्रजु०॥११॥सरती पाने पगे जी, जिनमुख जोती सार ॥आवी गनारा बाहिरे जी, जव ते राजकुमारी ॥ प्रजु० ॥१२॥ताम गन्नारा तेहनां जी, देवाणां दोय बार ॥ हलाव्यां हाले नहीं जी, सलके नहीं लगार ॥ प्रनु०॥ १३ ॥ राजकुंवरी इम चिंतवे जी, मन आणी विषवाद ॥ में कीधी आशातना जी, कोश्क धरी प्रमाद॥प्रनु०॥१४॥ अर्थ-एम कन्याना नारनी चिंता चिंतवतो चिंतातुर थयो थको राजा शून्य मने उन्नो .2 एवा समयने विषे एक श्राश्चर्य थयु, ते सहु को सांजलो ॥११॥ ते राजकुंवरी जिनराजनी पूजा करी, त्रण वार प्रणाम करी पाने पगे सरती, प्रधान श्रीजिनराजनुं मुख जोती थकी जे वारे ते 8 गनाराथी बहार आवी ॥ १२ ॥ ते वारे ते गजारानां बेहु वारणां देवाणां एटले बंध थर गया, |एवां जमा गयां के कोइ बलवंत पुरुष जो तेने हलावे, तोपण तेना हलाव्यां हाले नहीं, लगार मात्र (सलके के०) चसके नहीं ॥ १३ ॥ तेजो राजकुंवरी पोताना मनमां घणोज विषवाद Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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