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________________ ॥ ५२ ॥ श्री० रा० ४ बोडी नाख्यां, ( ताम के० ) ते वारे रक्षक पुरुषो जे शेवनी पासे उना हता ते पण नासी गया ॥ २७ ॥ दो खग लेइ महाकालने, जीदो मारण धायो रे शेठ ॥ जीदो कहे कुंवर बेसी रहो, जो बल दीव्रं तुम ठेठ ॥ सु० ॥ २८ ॥ जीहो बंधन बब्बर रायनां, जीढो गेडावे तेणी वार ॥ जीहो भूषण वस्त्र पढ़ेरामणी, दो को सत्कार ॥ सु० ॥ २९ ॥ जीहौ सुनट जिके नाग दता, जीदो ते आव्या सहु कोय ॥ जीहो जांजे तस आजीविका, जीदो शेठ कोप की सोय ॥ सु० ॥ ३० ॥ अर्थ-ते वारे शेठ घणी उतावलथी तरवार हाथमां लइने महाकाल राजाने मारवा माटे ( धायो के० ) दोड्यो . तेने श्रीपाल कुंवरे कयुं के हां हां शेठजी ! तमे बेसी रहो, केमके तमारुं बल तो मे ठेवथी दीतुं बे. वली एक तो जे पोताने घेर चाली आव्यो होय, बीजो आपणे शरणे श्राव्यो होय, त्रीजो बांध्यो थको पड्यो होय, चोथो जे रोगथी पीमा पामतो होय, पांचमो जे नासी जतो होय, बडो जे बुढो होय एटले वृद्ध होय, छाने सातमो जे बालक होय, ए साते जण जो पण आपणा शत्रु होय तोपण तेने मारवा नहीं, एवो न्याय ठे ॥ २८ ॥ पठी श्रीपाल | कुंवरे जे बब्बरना राजाने बंधने बांध्या हता, ते पण तेज वखते बोडाव्या, एटले पोताने हाथेज बंधन बोड्यां, थने पोताना जागमां यावेलां अढीसें वाणमांथी घणां श्राभूषण वस्त्र मगावी |पहेरामणी करीने राजानो घणो आदर सत्कार करयो ॥ २५ ॥ दवे शेठना सुनटो जे कोइ प्रथम बब्बर राजाना सुनटोथी बीक पामीने नासी गया हता ते पण सहु को पाठा फरी श्राव्या, ( सोय के० ) तेना उपरे शेठे कोप करीने तेमनी आजीविका जांगी नाखी, पगार श्रापवानो बंध कस्यो, पोतानी चाकरीमांथी दूर करया ॥ ३० ॥ For Personal and Private Use Only Jain Education International खंग. १ ॥ ५२ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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