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________________ यशोधर ॥३ ॥ FEEEE PEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE । कुरुते दृक्पथावहिः ॥ ५७ ॥ अकांडमृत्युनामानं । राजा स्वमंत्रिणप्रति ॥ शुश्रूषार्थ ददौ चरित्रं शिदां । तस्यार्थे जननीशुनः॥ ५ ॥ मां शाकुनिकमुद्दिश्य । पालनाय समार्पयत् ॥ ग्रासवासाधिकं चक्रे । तयोः समधिकं नृपः ।। एए । एवमावामुन्नौ तत्र । मातृपुत्रौ नवांतरे ॥ पाल्यमानौ क्रमेण स्व-स्वगृहं पुनरागतौ ॥३१॥ इति विचरति काले कौतुकादन्यदादं । विविधगतिविशेषैरंतरं गाहमामः ॥ धवसगृहविटंके रत्ननिर्मूहिकायां । कथमहमधिरूढः प. कयुग्मं धुनानः ॥ ६ ॥ अहमनुगुणवीणं मंजुमंजीरनीवी-मणितरणितगर्ने तत्र चांतःपुरीणां ॥ सजलजलदधीरं नाट्यशालासमुद्धं । गुरुमुरजनिनादं मंश्माकर्ण्य हृष्टः ॥ ६३ ।। - तस्ततो विचरता । गवादविवरांतरे ॥ वीक्षिता चित्रशालायां । सा देवी नयनावली ॥धा भुज्यमाना वरेणेव । तेन कुजेन पापिना ॥ प्रस्वेदककीर्णांगी। श्वसंती लुलितालका ॥ ॥६५॥ तां वीक्ष्य चकितोऽनूवं । क्वापि दृष्टाविमाविति ।। जन्मस्मरणमापनः । कोपेना-॥३०॥ हमधिष्टितः॥६६॥ अन्युछितस्तदनु हंतुमहं तरस्वी । चंचुप्रहारनखताडनपघातैः ॥ व्याक्रोशकूजितपरस्तरसानिषंगा-दंगाधिकप्रसरशौर्यरसप्रसंगः ॥ ६ ॥ FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE Jan Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600192
Book TitleYashodhar Charitra
Original Sutra AuthorManikyasuri
Author
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1910
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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