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________________ १९४५ नी सालथी मुळजीजेठा मारकीटमां ने १९४५ मां दुकानमां नुकशानी जवाथी ने केवळाजी १९५८ मां गुजरी जवाथी बधो भार ऊमाजीपर आवी पडयो, ने ते करजदारी उमाजीना हाथथी १९८० मां दरेक लेणदारने बोलावीने आपी दीधी.] परिणामे तेमणे मुंबईमां कापडनी दुकान शरु करी अने तेमां मगनलाल चीमनलाल अने मगनलाल केशरीमल सारं कमाणा. आ पछी पण तेमणे सं. १९८२ नी सालमां वीजी शा. मनुभाई मूळचंदना नामनी कापडनी पेढी शरु करी | अने तेमां पण खुबज संपत्ति मेळवी. दान, भोग अने नाश ए लक्ष्मीना ऊपयोगना प्रकारमा दान ए सर्वोत्तम प्रकार के ए हृदयमां सारी रीते समजता आ त्रणे भाईओए लक्ष्मीना सद्व्यय माटे सं. १९८५ मां मातुश्री नंदादेनी इच्छाथी धर्मप्रभावक, ऊजमणुं | करवानो विचार कर्यो, कारणके आ प्रसंगे पोतानी जन्मभूमि मारवाडमां पूरजोसमां रोगचालो चालतो हतो अने तेने परिणामे जीवन माटे तलसता अनेक मानवो मृत्यु पामतां हतां, गामना लोकोनी अने पोतानी इच्छा पण तेनी कइ रीते है शांति थाय तेने माटे खुब तमन्ना हती, अने सौ कोई समजता हता के दैवी कोपनी शांति धर्ममार्ग सिवाय नथी आथी तेमणे तेमना वतनमा गमे तेवा उपद्रवोने शांत करनार शांतिस्नात्र भणाववानी महाजन पासे रजा मागी अने ते मलतां तेमणे साथे साथे भव्य नवछोडनु उद्यापन पण शरु कयु. अने तेमा रु. २७०००) सत्तावीश हजारनो खच कर्यो, जैन जैनेतर सौ कोईमां आनंद अने उत्साह वाप्यो. तेमज ते प्रसंगे याचक विगेरे वर्ग पण दान अने भेटथी संतोष पाम्यो हतो. Jain Eco terational For Personal & Private Use Only
SR No.600191
Book TitleKumarpal Pratibodh Prabandh
Original Sutra AuthorMafatlal Zaverchand Gandhi
Author
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1940
Total Pages156
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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