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प्रतियोष "संपत्तौ विपत्तौ च महतामेकरूपता"
*प्रबंध: संपत्तिनी वृद्धिमा अने संपत्तिनी हानिमां एक सरखं जीवन जीवनार शेठ ऊमाजी तथा नंदादेना सुखमय संसारना फलरुपे पुत्रीनो जन्म थयो अने तेनुं नाम मातपिताए गजरीबाई राख्यु, सुशील मातपिताना संस्कारे गजरीबाई नानी ऊमरमां पण जिनपूजा, व्याख्यान, दानशील विगेरे धर्ममा एकदील थइ सुंदर श्राविकाजीवन जीवी रह्यां छे, ने साथे साथे तेओ बहिरभावनो त्याग करवा माटे छह, अहम, वरसीतप, वर्धमानतप, नवपदनी ओळी, ऊपधानतप विगेरे ऊप्रतपश्चर्यामां जीवन व्यतीत करी रह्यां छे. जोके गजरीबाई एक आखं जीवन धर्म ध्यानमांज गाळी रह्यां छे.
आ सुपुत्रीना जन्मबाद धर्मपरायण आ दंपतीने मगनलाल (मालाभाई) मूलचंदजी (भीमाभाई) अने चीमनलाल (चीमनाजी) नामे त्रण पुत्रो थया. आ त्रणे पुत्रो जाणे पोताना पितानी प्रतिकृति न होय तेम धर्मद्रढ, नीतिपरायण अने : स्वभावे परोपकारशील छे. तदुपरांत एक बीजानी मर्यादा अने प्रेम सौ कोइने आकर्षण करे तेवो छे.
नाम तेनो नाश ए न्याये ऊमाजी शेठ नहिं जेवी मांदगी भोगवी. सं. १९८२ ना आसो शुदि ६ ना रोज स्वर्ग-2 वास पाम्या, स्वर्गबास थतां तेमणे तेमना पुत्रोने पोतानी लक्ष्मीनो सद्व्यय करवानो अने संपथी रहेवानुं सूचव्युं.
पिताश्रीना स्वर्गवास बाद पण त्रणे भाईओखुब प्रेम अने संपथी रहेवा लाग्या. आ संप अने प्रेमने परिणामे तेओ पोताना | जीवनमा धीमे धीमे सुखशील थता गया. [आ कापडना धंधानी शरुआत उमाजीना मोटा भाई केवळाजीना हाथथी थयेल छे.
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