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समर्पण परमपूज्य, धर्मधुरंधर, जैनशासन नभोनभोमणि, सुविहितसाधुशिरोमणि, जैनागमपरिशीलनशाली, सद्धर्मोपदेष्टा, विद्वज्जनवृंदवंदनीय, आबाळब्रह्मचारी, व्याख्यानवाचस्पति कविदिवाकर,
परमकृपालु गुरुदेव अनुयोगाचार्य श्री १००८ श्री पंन्यासप्रवर श्रीमद्
रंगविमलजीगणिवरमहाराजसाहेबना करकमलमां आपश्रीनी प्रेरणा उपदेश अने लागणीथी आ महामूल्य ग्रंथरत्न प्रकाश पामे छे तो तेमा प्रतिपादित तत्त्वत्र यी बारव्रत अने जीवादि तत्वोनो निरंतर बोध करी जगतना भव्यप्राणीओने योग्य मार्गे दोरनार, परम उपकारी दीर्घ तपस्वी शास्त्रविशारद
महापुरुष आप मारा परमतारक गुरुदेवने
आ ग्रंथ समी कृतार्थ थाउंछु एज भवदीय लघु शिष्य कनकना कोटि वंदन.
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